नई दिल्ली. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपनी कुर्सी बचाने की आखिरी कोशिशों में जुटे हैं। इस कड़ी में उन्होंने पिछले दिनों 42 मिनट देश को संबोधित किया। इमरान खान ने पाकिस्तान के मौजूदा हालात के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराते हुए दावा किया है कि वो एक स्वतंत्र विदेश नीति पर चल रहे थे और इसलिए ही अमेरिका की आंख में खटक रहे थे। हालांकि, उन्होंने चीन का नाम एक बार भी नहीं लिया। इससे सवाल उठे कि क्या वाकई पाकिस्तान के इस सियासी संकट के लिए अमेरिका और चीन जिम्मेदार हैं? इमरान के लेटर बम पर अमेरिका की डेलवेयर यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार प्रोफेसर मुक्तदर खान कहते हैं, "अमेरिका ने ऐसा आधिकारिक पत्र लिखा होगा, इस पर शक है। कोई भी देश दूसरे देश के मामलों में पत्र लिखकर कभी दखल नहीं देता है। हद से हद ये हो सकता है कि अमेरिका ने पाकिस्तान के राजदूत से कुछ कहा हो और उन्होंने एक नोट बनाकर अपने विदेश मंत्रालय को भेज दिया हो।" प्रोफेसर खान कहते हैं, "ऐसे किसी पत्र के होने का दावा बचकानी बात लगती है। यदि कोई पत्र है तो उसे अखबार के फ्रंट पेज पर छपवा दें। जब अमेरिका जैसे किसी देश को इस तरह का संदेश देना होता है तो वो प्रॉक्सी के जरिए दे देते हैं। कोई अधिकारिक पत्र नहीं लिखता है। प्रोफेसर खान कहते हैं, "पाकिस्तान की विदेश नीति कभी स्वतंत्र नहीं रही है। इमरान खान ने 42 मिनट बात की और एक बार भी चीन का नाम नहीं लिया। कई बार इमरान खान से चीन में उइगुर मुसलमानों की हालत पर सवाल किया गया, लेकिन उन्होंने कभी मुंह ही नहीं खोला। जाहिर सी बात है कि वे चीन के दबाव में हैं। कई साल से इमरान खान ये तक कह रहे हैं कि चीन पाकिस्तान का करीबी सहयोगी है इसलिए चीन की आलोचना नहीं करेंगे।"
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