जयपुर. इस वक्त आप राजस्थान में भले ही कहीं भी हो, पसीने से लथपथ सुबह से ही दिन की शुरुआत होती है। जयपुर-जोधपुर जैसे संभाग मुख्यालय पर हैं तो 1 घंटे, जिले के मुख्यालय पर हैं तो 2 घंटे और किसी कस्बे में हैं तो सुबह-सुबह 3 घंटे बिजली कटौती झेलनी पड़ रही है। ये तो सिर्फ घोषित बिजली कटौती है, अघोषित कटौती का आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा है। पॉवर कट से सिर्फ जनता ही नहीं GDP भी बेहाल हो रही है। राज्य सरकार ने औद्योगिक क्षेत्र में शाम 6 से रात 10 बजे तक 50 प्रतिशत कंजम्प्शन की लिमिट तय कर दी है। राजस्थान की GDP में इंडस्ट्रीज का 25% का हिस्सा है। एक घंटे पॉवर कट का मतलब है 200 करोड़ तक का प्रोडक्शन ठप होना। इसी तरह GDP में कृषि का 30% और सर्विस सेक्टर का 45% का योगदान होता है। इकोनॉमिस्ट का कहना है कि तीनों ही क्षेत्र में बिजली कटौती से होने वाले आर्थिक नुकसान का अनुमान लगाएं तो यह आंकड़ा 250 करोड़ से ज्यादा होता है। सबसे चिंताजनक यह है कि जिम्मेदारों का पता था कि बिजली संकट आएगा, इसके बावजूद इससे निपटने के लिए जरूरी प्रयास नहीं किए गए। यही वजह है कि 6 रुपए यूनिट बिजली के सरकार को अब 12 रुपए तक चुकाने पड़ रहे हैं।
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