पटना. चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की और साफ संकेत दिए कि वे पॉलिटिक्स में एंट्री करेंगे। पीके ने कहा कि बिहार में बदलाव और नई सोच की जरूरत है। उन्होंने किसी पार्टी का ऐलान नहीं किया, लेकिन अपना प्लान बताया। कहा कि पिछले कुछ दिनों में समाज के हर तबके से बात हुई है। वह बिहार में नई सोच, बदलाव और सुराज का हिमायती है। पीके बोले कि वे अगले 3-4 महीनों में वे 3 हजार किलोमीटर पदयात्रा करेंगे। इसकी शुरुआत चंपारण से होगी। करीब 17 हजार लोगों से बात करेंगे। अगर ज्यादातर लोग सुराज और नई सोच के पक्ष में रहते हैं और किसी राजनीतिक पार्टी के ऐलान की जरूरत पड़ती है तो उसका ऐलान भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ये पार्टी प्रशांत किशोर की नहीं होगी। पीके बोले, 'पिछले 3 दशक से बिहार में लालू यादव और नीतीश कुमार का राज रहा है। पहले 15 साल लालू जी और अभी पिछले करीब 15 साल से नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री हैं। लालू जी और उनके समर्थकों का मानना है कि 15 साल के शासन में सामाजिक न्याय का शासन चला। आर्थिक और सामाजिक रूप से जो पिछड़े थे लोगों को सरकार ने आवाज दी। नीतीश समर्थकों का मानना है कि उनकी सरकार ने आर्थिक विकास और दूसरी सामाजिक पहलुओं पर ध्यान दिया है और विकास किया है।' 'दोनों ही बातों में कुछ तो सच्चाई है। लेकिन इस बात में भी सच्चाई है कि लालू और नीतीश के 30 साल के राज के बाद भी बिहार देश का सबसे पिछड़ा और सबसे गरीब राज्य है। इस सच्चाई को कोई झुठला नहीं सकता है। विकास के ज्यादातर मानकों पर बिहार सबसे पीछे है। अगर 10-15 साल के रास्ते को देखेंगे तो ये बात तो तय है कि इस रास्ते से हम ऊंचाई पर नहीं पहुंच सकते हैं। अग्रणी राज्य की श्रेणी में आने के लिए बिहार को नई सोच नए प्रयास की जरूरत है। यह बहस का मुद्दा हो सकता है कि वह नई सोच और नया प्रयास कौन करे और किसके पास है। मेरा ऐसा मानना है कि नई सोच और नए प्रयास करने की क्षमता किसी एक व्यक्ति में है।'
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