नई दिल्ली. मस्जिद के बाद मकबरा... अयोध्या के बाद आगरा... राम मंदिर के बाद शिव मंदिर और ताजा विवाद है ताजमहल का। हाल ही में भाजपा के एक कार्यकर्ता डॉ. रजनीश ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दाखिल की है। यह याचिका ताजमहल के शिव मंदिर या तेजो महालय होने का दावा करती है। याचिकाकर्ता का कहना है कि ताजमहल को लेकर सस्पेंस बरकरार है। यह साफ होना चाहिए कि वह शिव मंदिर है या मकबरा। अगर ताज के बंद दरवाजे खुलेंगे, तो यह विवाद हमेशा के लिए दफन हो जाएगा। याचिका पर आज कोर्ट में सुनवाई होनी है, लेकिन एक्सपर्ट की मानें तो ताज के 22 बंद दरवाजों को खोलना आसान नहीं होगा। ताज के बंद दरवाजों को खोलने में एक नहीं कई अड़चनें हैं। पहली, वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा रखने वाली इमारत से छेड़छाड़ के लिए चाहिए होंगे करोड़ों रुपए और हाईलेवल एक्सपर्सट्स की कई टीमें। दूसरी वजह यह भी है कि ताजमहल वर्ल्ड हैरीटेज मॉन्यूमेंट है, इसलिए UNESCO भी इस मामले में दखल देगा। सेंट्रल स्टडीज एंड हेरिटेज मैनेजमेंट रिसोर्सेज, पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट अहमदाबाद में ऑनरेरी डायरेक्टर देबाशीष नायक कहते हैं, 'ताजमहल वर्ल्ड हेरिटेज है, ऐसे में उसके ढांचे से छेड़छाड़ करने के लिए UNESCO से डिस्कस करना पड़ेगा। लॉजिक देना पड़ेगा। उसके बाद ही आप दरवाजे खोल सकते हैं।' लेकिन क्या यह संभव है कि अगर कोर्ट ASI को उन दरवाजों को खोलने का निर्देश दे और याचिकाकर्ता का दावा ठीक निकले, तो भी वह वर्ल्ड हेरिटेज रहे? वे कहते हैं, यह दूर की कौड़ी है। लेकिन अगर हेरिटेज इमारत का ऑब्जेक्टिव चेंज होगा, तो UNESCO दखल जरूर देगा। उसके बाद वह इस पर फाइनल फैसला लेगा।
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