नई दिल्ली. महाराष्ट्र में 54 दिन से जारी सियासी संकट पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट की ओर से दाखिल 5 याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हो गई है। चीफ जस्टिस एनवी रमना ने सबसे पहले पूछा कि क्या सभी पक्षों ने मामले से जुड़े कानूनी सवालों का संकलन जमा करा दिया है। इस पर राज्यपाल के वकील सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता- मैं अभी जमा करवा रहा हूं। सबसे पहले उद्धव कैंप के वकील कपिल सिब्बल ने कहा- अगर 2 तिहाई विधायक शिवसेना से अलग होना चाहते हैं, तो उन्हें किसी से विलय करना होगा या नई पार्टी बनानी होगी। वह नहीं कह सकते कि वह मूल पार्टी हैं। CJI ने पूछा कि मतलब आप कह रहे हैं कि उन्हें BJP में विलय करना चाहिए था या अलग पार्टी बनानी थी। सिब्बल बोले- कानूनन तो यही करना था। सिब्बल बोले- जिस तरह से उन्होंने (शिंदे गुट) पार्टी की सदस्यता छोड़ दी है। वे मूल पार्टी होने का दावा नहीं कर सकते। 10वीं अनुसूची इसकी अनुमति नहीं देती है। पार्टी सिर्फ विधायकों का समूह नहीं होती है। इन लोगों को पार्टी की बैठक में बुलाया गया। वह नहीं आए। डिप्टी स्पीकर को चिट्ठी लिख दी। अपना व्हिप नियुक्त कर दिया। असल में उन्होंने पार्टी छोड़ी है। वह मूल पार्टी होने का दावा नहीं कर सकते। आज भी शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे हैं। सिब्बल ने कहा- जब संविधान में 10वीं अनुसूची (दल-बदल विरोधी प्रावधान) को जोड़ा गया, तो उसका कुछ उद्देश्य था। अगर इस तरह के दुरुपयोग को अनुमति दी गई तो विधायकों का बहुमत सरकार को गिरा कर गलत तरीके से सत्ता पाता रहेगा और पार्टी पर भी दावा करेगा। पार्टी की सदस्यता छोड़ने वाले विधायक अयोग्य हैं। चुनाव आयोग जाकर पार्टी पर दावा कैसे कर सकते हैं? उद्धव कैंप के दूसरे वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा इन लोगों को किसी पार्टी में विलय करना था। वह जानते हैं कि असली पार्टी नहीं हैं। लेकिन, चुनाव आयोग से मान्यता पाने की कोशिश कर रहे हैं।
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