जयपुर. विश्व आदिवासी दिवस पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी. मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज की प्रकृति पूजक के रूप में अपनी एक खास पहचान है जो उनके गीत-नृत्य के माध्यम से प्रकट होती हैं. उनके लोकगीतों में प्रकृति से उनके लगाव की झलक स्पष्ट दिखाई देती है.
मातृभूमि की रक्षा के लिए दिया बलिदान : सीएम गहलोत ने कहा कि हमारे प्रदेश के आदिवासी भाइयों ने समय-समय पर मातृभूमि की रक्षा के लिए बलिदान दिए हैं. आजादी के आंदोलन में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है. साथ ही, अपनी मूल संस्कृति को संरक्षित रखने में महती भूमिका निभाई है. आज वे हर क्षेत्र में अपनी क्षमता और योग्यता का उल्लेखनीय प्रदर्शन कर रहे हैं.
गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार आदिवासी समाज के कल्याण के लिए समर्पित भाव से काम कर रही है. उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के साथ ही उनकी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने आह्वान किया कि इस अवसर पर आदिवासी भाई अपनी भावी पीढ़ी को शिक्षित बनाने का संकल्प लें, ताकि वे देश एवं प्रदेश के विकास में और अधिक सक्रिय भागीदारी निभा सकें.
इंसानियत, इंसाफ और इमान की राह पर चलने का पैगाम देता है मोहर्रम : सीएम अशोक गहलोत ने मोहर्रम पर अपने संदेश में कहा है कि कर्बला के मैदान में हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की शहादत आने वाली पीढियों के लिए मिसाल बन गई. उनकी शहादत हमारी युवा पीढ़ी को जुल्म और नाइंसाफी के खिलाफ आवाज बुलन्द करने और इंसानियत, इंसाफ और इमान की राह पर चलने की प्रेरणा देती है. गहलोत ने कहा कि मोहर्रम का यह महीना इंसानियत और मोहब्बत का पैगाम देता है. मुख्यमंत्री ने कहा कि मोहर्रम के इस मुबारक महीने में हम सभी प्रदेशवासी संकल्प लें कि अपने देश और प्रदेश की हिफाजत के लिए हम हर तरह की कुर्बानी देने को तत्पर रहेंगे.
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