नई दिल्ली. श्रीलंका की तरह इराक में भी स्थिति अराजक हो गई है। सियासी गतिरोध ना टूट पाने से नाराज शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सद्र ने सोमवार को राजनीति छोड़ने का ऐलान कर दिया। इस ऐलान के बाद सेना ने कर्फ्यू लगाया, लेकिन अल-सद्र के समर्थक सड़क पर उतर आए। इस दौरान सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प हुई। सद्र के हजारों समर्थकों ने राष्ट्रपति भवन (रिपब्लिक पैलेसे) पर धावा बोल दिया। सुरक्षाबलों ने रोकने के लिए पहले आंसू गैस के गोले दागे और फायरिंग भी की, लेकिन वे नहीं माने। इस दौरान 20 लोगों की मौत हो गई, जबकि 300 से ज्यादा लोग घायल हो गए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सद्र ने हिंसा और हथियारों का इस्तेमाल बंद होने तक भूख हड़ताल की घोषणा की है। सद्र के समर्थकों ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया है। वे अंदर स्विमिंग पूल, मीटिंग हॉल समेत पूरे पैलेस में घूमते नजर आए। बता दें कि अल-सद्र समर्थकों और उनके राजनीतिक विरोधी ईरान समर्थित शिया समूह के बीच लंबे समय से गतिरोध चल रहा है। इराक की सरकार में गतिरोध तब से आया है जब धर्मगुरु मुक्तदा अल-सद्र की पार्टी ने अक्टूबर के संसदीय चुनावों में सबसे अधिक सीटें जीती थीं, लेकिन वह बहुमत तक नहीं पहुंच पाए थे। उन्होंने आम सहमति वाली सरकार बनाने के लिए ईरान समर्थित शिया प्रतिद्वंद्वियों के साथ बातचीत करने से इनकार कर दिया था। इससे पहले भी अल-सद्र के समर्थकों ने जुलाई में सरकार बनाने से रोकने के लिए संसद में प्रदर्शन किया और चार सप्ताह से अधिक समय से धरने पर बैठे हैं। उनके गुट ने संसद से इस्तीफा भी दे दिया है।
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