जयपुर. राज्यसभा चुनावों से पहले नाराज हुए कांग्रेसी विधायक CM अशोक गहलोत के मनाने पर एक बार मान गए हैं, लेकिन नाराजगी फिर उभरने की आशंका है। इन विधायकों ने सरकार के सामने लंबा चौड़ा डिमांड चार्टर रखा है। यही डिमांड चार्टर आगे सरकार के लिए परेशानी पैदा करेगा, क्योंकि इन सभी मांगों को पूरा करना संभव नहीं होगा। विधायकों ने खुलकर कहा- विकास और व्यवस्था से जुड़े मुद्दों पर नाराजगी अब भी बरकरार है। जब तक मुद्दों का समाधान नहीं होता यह बनी रहेगी। राज्यसभा चुनावों में कांग्रेस के पक्ष में वोट करवाने और टूट से बचाने के लिए इन विधायकों को मनाना जरूरी था। कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों को मिलाकर करीब 20 विधायकों ने सीएम गहलोत के सामने लंबी चौड़ी मांगें रखी हैं। आगे इन विधायकों का आक्रोश और तेज होने के संकेत मिल रहे हैं। चुनावी साल नजदीक आने की वजह से विकास के वादे पूरे करने के लिए विधायकों पर जनता दबाव बनाएगी, ऐसे में विधायक सरकारी सिस्टम की देरी पर खुलकर सवाल उठाएंगे, क्योंकि उन्हें जनता के बीच अपनी सियासी छवि बचानी है। विधायकों ने खुलकर इस बात के संकेत भी दे दिए हैं। उदयपुर बाड़ेबंदी में जाने से पहले इन विधायकों के साथ मुख्यमंत्री ने बैठक कर इनके विकास से जुड़े कामों और लंबित मुद्दों को पूरा करने का आश्वासन दिया था। BTP के दो विधायकों ने अलग से डिमांड लिस्ट दी है। इसमें टीएसपी क्षेत्र की अटकी हुई विकास की योजनाओं पर काम तेज करने के अलावा बजट बढ़ाने की मांग है। खुद के हिसाब से अफसर-कर्मचारी लगाने, ट्राइबल सब प्लान में स्थानीय हिसाब से काम करवाने, टीएसपी क्षेत्र में आरक्षण से जुड़ी विसंगतियों को दूर करने सहित पूरा मांग पत्र है। इसे पूरा करने कर आश्वासन दिया है। राजनीतिक तौर पर पर भी BTP की मांगों को पूरा करने से आदिवासी इलाके में कांग्रेस नेता कमजोर होंगे और इससे विरोध बढ़ेगा।
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