जयपुर. देश में नेशनल हाइवे पर 60KM की दूरी पर एक से ज्यादा टोल हटाने की केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की घोषणा अब भी लागू नहीं हो सकी। राजस्थान में 22 ऐसे टोल प्लाजा है, जो इस घोषणा के तहत हटाए जा सकते है। लेकिन केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय अब विचार कर रहा है कि इन्हें हटाए तो हटाए कैसे? क्योंकि इनके हटने के बाद जो फाइनेंशियल घाटा हाइवे बनाने वाली कंपनियों को होगा उसकी भरपाई कैसे की जाएगी? राजस्थान एनएचएआई के रीजनल ऑफिसर पवन कुमार ने बताया कि हमने उन टोल बूथों की रिपोर्ट मंत्रालय को भिजवा दी है, जो 60KM. के दायरे में आ रहे है। राजस्थान में 48 नेशनल हाइवे (NH) है, जिन पर 99 जगहों पर टोल वसूल होती है और इनमें से 22 ऐसे टोल बूथ है जो 60KM. के दायरे में आ रहे है। आपको बता दें कि केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मार्च में संसद में ये घोषणा की थी आने वाले 3 महीने के अंदर सरकार 60KM. के दायरे में आने वाले एक से ज्यादा टोल बूथाें को हटा देगी। इसके साथ ही टोल प्लाजा के आस-पास रहने वाले लोगों को पास जारी किए जाएंगे। 60KM. दायरे में आने वाले एक से ज्यादा टोल बूथों को अगर हटाया जाता है तो कंपनियों को इसका फाइनेंशियल नुकसान होगा। इसकी भरपाई कौन करेगा। क्योंकि वर्तमान में कई हाइवे ऐसे है, जो कनेक्टिंग है या ऐसे है जिनका काम अलग-अलग कंपनियों ने करवाया है। इसके अलावा कई हाइवे ऐसे हैं जिनका काम तो एक ही कंपनी ने किया है, लेकिन उन टोल रोड पर एक या उससे ज्यादा इंटरकनेक्टिंग रोड आ रही हैं। जहां से गाड़ियां उन टोल पर एंट्री-एग्जिट कर रही है। ऐसे में इन रोड पर एक से ज्यादा टोल बूथों पर दूरी के हिसाब से टोल वसूला जा रहा है। ऐसे में इन बूथों को हटाते हैं तो कंपनियों को आर्थिक नुकसान होगा, जिसे लेकर कंपनियां कोर्ट में भी जा सकती है।
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