जयपुर. विधानसभा चुनाव की रणनीति बनाने में जुटी भाजपा में फूट देखने को मिली है। BJP प्रदेश कार्यसमिति की कोटा में बुधवार को हुई बैठक में वसुंधरा राजे बिना भाषण दिए ही चली गईं। लंच ब्रेक के बाद वह सीधे संघ के कार्यालय पहुंचीं और दो घंटे तक वहीं रहीं। पूर्व CM राजे के लिए करीब 25 मिनट बोलने का समय तय किया गया था, पर उन्होंने भाषण नहीं दिया। सूत्रों के मुताबिक पार्टी में फूट और तालमेल की कमी का यह मामला दिल्ली में नेतृत्व तक पहुंच गया है। सियासी गलियारों में भी इस घटना की चर्चा है। बैठक के तीसरे दिन शुरुआती दो सत्रों तक वह कार्यसमिति की बैठक में मौजूद रहीं, लेकिन लंच ब्रेक में बूंदी रोड रिसॉर्ट से बाहर निकलीं और फिर वापस बैठक में नहीं आईं। इसके बाद वह कोटा यूनिवर्सिटी कुलपति आवास पहुंची। वहां से गुमानपुरा में स्थित संघ कार्यालय चली गईं। वहां दो घंटे तक बंद कमरे में मंत्रणा की। सूत्रों के मुताबिक वसुंधरा राजे का ऑफिस स्टाफ पिछले 3 दिन से प्रदेश बीजेपी पदाधिकारियों को फोन कर उनके उद्बोधन के बारे में पूछ रहा था। स्टाफ ने पूछा था कि उद्बोधन होगा या नहीं, अगर होगा तो क्या विषय रहेगा। इसकी जानकारी बुधवार सुबह 9 बजे को फोन कर दी गई, जबकि भाषण का सब्जेक्ट कार्यसमिति की बैठक में पहुंचने के बाद उन्हें बताया गया। इनमें हाल ही में घोषित केन्द्र सरकार की 10 लाख नौकरियों की स्कीम और एक दिन पहले ही लागू की गई अग्निपथ सैनिक स्कीम शामिल थी। ये एकदम से नए सब्जेक्ट थे। बताया जा रहा है वसुंधरा राजे मोदी सरकार के 8 साल की उपलब्धियों पर भाषण की तैयारी करके गई थीं। राजे की कार्यशैली ऐसी रही है कि वे बिना पूर्व तैयारी के भाषण नहीं देती हैं। राजे को 25 मिनट उद्बोधन देना था। सूत्र बताते हैं कि राजे ने प्रदेश कार्यसमिति में कुछ नेताओं को अपना पक्ष भी रखा। इसके बाद वहां असमंजस की स्थिति पैदा हुई। राजे के कार्यसमिति छोड़कर चले जाने के बाद केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने संबोधन दिया।
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