श्रीनगर: जम्मू के उपायुक्त ने उस अधिसूचना को वापस ले लिया है जिसमें सभी तहसीलदारों को जम्मू में रहने वाले लोगों को 'एक वर्ष से अधिक समय से' निवास का प्रमाण पत्र जारी करने के लिए अधिकृत किया गया था. जम्मू प्रशासन द्वारा मंगलवार को सभी तहसीलदारों (राजस्व अधिकारियों) को एक वर्ष से अधिक समय से जिले में रहने वाले लोगों को निवास का प्रमाण पत्र जारी करने के लिए अधिकृत करने का आदेश जारी करने के एक दिन बाद यह बात सामने आई है. निवास प्रमाण पत्र का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि मतदाता सूची के चल रहे विशेष सारांश पुनरीक्षण में कोई भी पात्र मतदाता पंजीकरण के लिए न छूटे. विषय के तहत पढ़ा गया नया आदेश विशेष सारांश संशोधन 2022, मतदाताओं के पंजीकरण के लिए दस्तावेज की स्वीकृति, दिनांक 11 अक्टूबर को जारी किया गया वापस लिया जाता है और इसे शून्य माना जाता है. पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस समेत राजनीतिक दलों ने इस आदेश का विरोध किया था. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के एक मतदाता के वोट की कीमत खत्म हो जाएगी. उन्होंने आगे कहा कि यह कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर देश में कहीं भी लागू नहीं होता है और भाजपा जम्मू-कश्मीर के मूल नागरिकों को मिटाकर बाहरी लोगों को बसाना चाहती है. उन्होंने कहा कि परिसीमन की मदद से, उन्होंने रणनीतिक रूप से निर्वाचन क्षेत्र को इस तरह से विभाजित करने की योजना बनाई कि यह भाजपा के वोट के पक्ष में हो, लेकिन जम्मू-कश्मीर के लोगों ने पाया कि भाजपा इसका इस्तेमाल वोट हासिल करने के लिए कर रही है. नए मतदाता बनाने के लिए गए इस फैसले का कांग्रेस, पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस जैसे दल विरोध कर रहे थे. इस मामले को तूल पकड़ता देख प्रशासन ने इस संबंध में जारी आदेश बुधवार देर रात वापस ले लिया. जम्मू के डीसी की ओर से जारी इस आदेश के बाद राज्य की विपक्षी पार्टियां इसके खिलाफ एकजुट हो गई थीं. उन्होंने न केवल इस आदेश के खिलाफ बयान देना शुरू किया बल्कि इसपर विरोध-प्रदर्शनों का दौर भी शुरू हो गया था.
All Rights Reserved & Copyright © 2015 By HP NEWS. Powered by Ui Systems Pvt. Ltd.