जयपुर. राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा के चलते कांग्रेस में तमाम उठापटक फिलहाल एकदम शांत है। कुछ दिन पहले तक जहां आए दिन गुटबाजी और एक-दूसरे पर बयानों और आरोपों की बौछारें हो रही थीं। वहां से अब एकजुटता की तस्वीरें आ रही हैं। मगर कांग्रेस और राजनीति के जानकारों का कहना है कि यह शांति सिर्फ राहुल की यात्रा के राजस्थान में रहने तक है। यात्रा के राजस्थान से गुजरने के ठीक बाद कई मसलों पर राजस्थान कांग्रेस में सब्र और गुस्से का गुब्बार फूट सकता है। 25 सितंबर को कांग्रेस हाईकमान की ओर से राजस्थान में सीएम बदलने की कवायद के बीच विधायकों ने इस्तीफे दे दिए थे। अब यह मामला हाईकोर्ट में लंबित है। भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ की याचिका पर 6 दिसंबर को हाईकोर्ट ने तीन सप्ताह में जवाब देने का विधानसभा अध्यक्ष को नोटिस दे रखा है। तीन सप्ताह 28 दिसंबर को पूरे हो जाएंगे। विधानसभा अध्यक्ष के जवाब के साथ ही तीन माह से चल रहे इस्तीफों के सस्पेंस का खुलासा तो होगा ही साथ ही राजस्थान के सियासी ड्रामे में भी नया मोड़ आने की स्थितियां बनेंगी। इधर, शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौड़ पर अनुशासनहीनता के नोटिस पर कार्रवाई नहीं होने से नाराज अजय माकन के इस्तीफे के बाद राजस्थान कांग्रेस के नए प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा काम संभाल चुके हैं। वे लगातार बयान दे रहे हैं कि राजस्थान में किसी भी नेता की ज्यादा परवाह करने के बजाय उनका फोकस संगठन में मजबूती लाने पर रहेगा। ऐसे में धारीवाल, जोशी, राठौड़ पर रंधावा को कोई न कोई फैसला लेना होगा। इस बीच 21 दिसंबर को राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान में खत्म होकर हरियाणा में प्रवेश कर जाएगी। यात्रा के बाद अगले साल विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के बीच 10 महीने से भी कम समय बचेगा। ऐसे में सीएम की कुर्सी, संगठन विस्तार, राजनीतिक नियुक्तियां और खेमेबाजी से जुड़े कई मुद्दे सिर उठाएंगे।
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