नई दिल्ली. एक कपल को परेशान करने के आरोप में सेवा से बर्खास्त CISF कॉन्स्टेबल को सुप्रीम कोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया है। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस जेके माहेश्वरी की बेंच ने कहा, कॉन्स्टेबल कोई पुलिस अधिकारी नहीं था। और होता भी तो, पुलिस अधिकारियों को भी मॉरल पुलिसिंग करने की जरूरत नहीं है। बेंच ने आगे कहा कि पुलिस अधिकारियों का काम सिर्फ कानून-व्यवस्था बनाए रखना होता है। इसके साथ ही बेंच ने कॉन्स्टेबल को नौकरी पर रखने के हाई कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया। मामला साल 2001 का गुजरात के वडोदरा का है, जिसकी सुनवाई मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हो रही थी। जस्टिस खन्ना ने कहा, यह मामला चौंकाने वाला है। रात में एक कपल को मॉरल पुलिसिंग के नाम पर परेशान किया गया। कोई युवती नहीं चाहेगी कि कोई रास्ते में रोककर उससे अभद्र तरीके से निजी सवाल-जवाब करे। यह कदाचार का मामला है। उन्होंने आगे कहा कि आरोपी एक अनुशासित फोर्स से जुड़ा था, इसके चलते इस कदाचार को हल्के में नहीं ले सकते। गुजरात हाई कोर्ट इस मामले में न्यायिक समीक्षा का कानून ठीक ढंग से लागू करने में विफल रहा। इसलिए हम उसका आदेश रद्द कर रहे हैं।
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