नर्मदापुरम. बिहार की राजनीति पार्टी JDU (जनता दल) के पूर्व अध्यक्ष व 7 बार के सांसद शरद यादव ने गुरुवार रात 9 बजे आखिरी सांस ली। शरद यादव के निधन की सूचना उनकी बेटी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी। निधन की खबर लगते ही शौक की लहर छा गई। बिहार जैसे प्रदेश में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सात बार के सांसद बनने वाले शरद यादव का मप्र से गहरा नाता है। उनका जन्म एमपी के नर्मदापुरम(होशंगाबाद) जिले के छोटे से गांव आंखमऊ गांव में हुआ था। छोटे से गांव से निकलकर बिहार जैसे प्रदेश में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने और लोकसभा व राज्यसभा सांसद रहकर देश की राजनीति में नर्मदाचंल का नाम रोशन किया। शरद यादव मुख्य रूप से मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित बाबई तहसील के आंखमऊ गांव के रहने वाले हैं। उनका जन्म 1 जुलाई 1947 को एक किसान परिवार में हुआ था। जब वे 1971 में जबलपुर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे, तभी उनकी दिलचस्पी राजनीति में आई। यहां वे छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। छात्र संघ अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने राजनीति में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। शरद यादव छात्र पढ़ाई लिखाई में काफी अव्वल थे। उन्होंने बीई ‘सिविल’ में गोल्ड मेडल जीता था। वे राजनीति में राम मनोहर लोहिया के विचारों से काफी प्रभावित थे। इस कारण से वे अक्सर लोहिया के आंदोलनों में हिस्सा लिया करते थे। इस दौरान उन्हें ‘मिसा’ (misa) के तहत कई बार गिरफ्तार किया गया और उन्हें 1970,72 और 75 में जेल जाना पड़ा। शरद यादव ने मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू कराने में भी अहम भूमिका निभाई।
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