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भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां की राज्य बजट 2023-2024 पर प्रतिक्रिया

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां की राज्य बजट 2023-2024 पर प्रतिक्रिया
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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जादूगर हैं, उन्होंने नये बजट को गायब कर दिया और पुराना बजट पढ़ना शुरू कर दियाः
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ऐसा लगता है कि राजस्थान में जिस तरीके से पेपर लीक करने वालों का बोलबाला है, शायद बजट भी इसी तरह लीक कर दियाः

जयपुर, 10 फरवरी, 2023। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक किस्म से चुनावी बजट पेश किया, सपनों का सौदागर कहंे तो अतिश्योक्ति नहीं है, लेकिन ऐसा लगता है कि राजस्थान में जिस तरीके से पेपर लीक करने वालों का बोलबाला है, शायद बजट भी इसी तरह लीक कर दिया।
ऐसा पहली बार हुआ है कि जब मुख्यमंत्री पिछले बजट का पन्ना पढ़ रहे थे, सरकार की फितरत कैसी है, सरकार कैसे काम करती है पता लग जाता है, जिस तरीके का असंतुलन दिखा उनके भाषण में।
बेशक लोक लुभावन बातें होगी, लेकिन जिन किसानों की मौतें हुई वो मौतें जवाब मांगती हंै, जिस तरीके से कर्जा लेकर और खर्चा करने की नीति है और वो फिल्म है आमदनी अठन्नी, खर्चा रूपइया।
ऋणं कृत्वा घृतं पिवेत, राजस्थान इस समय आरबीआई कहती है कि सबसे ज्यादा फिजिकल स्ट्रेस वाला स्टेट है, ना योजनाओं में तारतम्य है और जो सबसे बडी बात है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत घोषणाजीवी हैं, घोषणा और घोषणाओं की क्रियान्विति में कोसों मील का फर्क है। 
गहलोत घोषणा तो करते हैं, लेकिन धरातल पर नहीं उतरती हैं, उनकी जनघोषणाएं भी 80 प्रतिशत पूरी होने का दावा करते हैं, लेकिन जनघोषणा पत्र की मांगें भी पूरी नहीं हुई, चार बजटों में जो उन्होंने घोषणाएं की वो भी पूरी नहीं हुई।
राजस्थान में सबसे ज्यादा चुनौती है अपराध और कानून व्यवस्था की, मुख्यमंत्री इस बारे में एक शब्द नहीं बोले, महिला सुरक्षा के बारे में एक शब्द नहीं बोले। कांग्रेस सरकार के शासन में जिस तरीके से पेपर लीक हुए उसी तरीके से आज राजस्थान की जनता ने देख लिया कि बजट भी लीक हो गया, मुख्यमंत्री ने प्रदेशभर में 14 हजार स्थानों पर एलईडी स्क्रीन्स के माध्यम से बजट को दिखाने की व्यवस्था के दिशा-निर्देश दिए थे, ऐसे में प्रदेश के युवाओं ने भी इन स्क्रीन्स के माध्यम से देख लिया कि बजट भी लीक हो गया और मुख्यमंत्री जादूगर हैं, जिससे उन्होंने नये बजट को गायब कर दिया और पुराना बजट पढ़ना शुरू कर दिया। किसानों और युवाओं से किए हुए वादे भी अशोक गहलोत ने पूरे नहीं किए, कर्जमाफी नहीं होने से 18 हजार से अधिक किसानों की जमीनें नीलाम हो गई और 5993 युवाओं ने अवसाद में आकर सुसाइड कर लिया। शिक्षा, चिकित्सा, पर्यटन, कानून व्यवस्था इत्यादि हर मोर्चे पर कांगे्रस सरकार पूरी तरह विफल है। राजस्थान में निवेश की स्थिति क्या है, मुख्यमंत्री इस बारे में जनता को अवगत कराएं कि कितने एमओयू धरातल पर उतरे हैं? राजस्थान में शांति, सुविधा और सहूलियत नहीं होने से निवेशक रूचि नहीं ले रहे, कानून व्यवस्था के लिए मुख्यमंत्री के पास कोई रोडमैप नहीं है, लगभग 9 लाख मुकदमे और डेढ़ लाख से अधिक महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले, यह पिछले 4 वर्षो में कांग्रेस शासन की हकीकत है। 
आज बजट में जितनी भी घोषणाएं की गई उनमें नेहरू गांधी खानदान के नामों को प्राथमिकता दी गई, क्योंकि अशोक गहलोत को पता है कि कांग्रेस में उन्हें राजनीति करनी है तो नेहरू गांधी खानदान की चापलूसी करनी पडेगी जो वो करते हैं, मुझे खुशी होती कि शताब्दी वर्ष पर पूर्व उपराष्ट्रपति एवं पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय भैरोसिंह शेखावत के नाम पर कोई योजना का नाम होता, जिन्होंने राजस्थान के गांव-गरीब की तरक्की के लिए तमाम जन कल्याणकारी योजनाएं चलाई थी। 
पेपर लीक पर लगाम लगाने के लिए कोई ठोस प्रावधान नहीं हुआ, एनएसए व फास्ट ट्रैक के जरिए पेपर लीक पर शिकंजा कसने की इनकी कोई मंशा नहीं दिखी, पत्रकारों के लिए सुरक्षा कानून और आवास योजना को लेकर मुख्यमंत्री ने कोई कदम नहीं उठाए। कृषि बजट का इन्होंने जो उल्लेख किया उसमें बीज से लेकर बाजार तक कोई प्रावधान नहीं किए और समर्थन मूल्य पर बाजरा खरीद भी इन्होंने सुनिश्चित नहीं की, जो अन्य राज्यों में हो रही है। 
राजस्थान में 57 किस्म के मिनरल्स निकलते हैं, जिनका लीगल तरीके से प्राॅडक्शन, व्यापार और निर्यात को लेकर कोई पाॅलिसी नहीं बनाई, बल्कि अवैध खनन में इनके मंत्री तक शामिल हैं, जिसके बारे में इनके पूर्व मंत्री व पार्टी के वरिष्ठ विधायक भरत सिंह कुंदनपुर कई बार चिटठियों के माध्यम से आरोप लगा चुके हैं।पर्यटन पाॅलिसी को लेकर कोई व्यवस्थित कार्ययोजना इनके पास नहीं है, पर्यटन नगरी आमेर को विकसित करने के लिए 300 करोड़ रूपये के जरिए केन्द्र की श्री नरेन्द्र मोदी सरकार की योजना प्रस्तावित है, लेकिन राज्य सरकार उस फाइल को दबाए बैठी है। 
कोविड के दौरान अपने विधानसभा क्षेत्र में दो एंबुलेंस विधायक कोष से दी थी, लेकिन राज्य सरकार की तरफ से उनके लिए ड्राइवर की भी व्यवस्था नहीं की गई है, जिससे वह एंबुलेंस आमजन के लिए काम नहीं आ रही है।हर वर्ष प्रदेश में लगभग 10 हजार रोड एक्सीडेंट होते हैं, जिनकी रोकथाम के लिए इन्होंने कोई योजना नहीं बनाई। बिजली, सड़क, पानी की सुविधाओं के मामले में भी सरकार पूरी तरह फेल है, मुख्यमंत्री के गृह जिले जोधपुर में भी सड़कों के बुरे हालात हैं, प्रदेश में ड्रग तस्करी भी चरम पर है, जिससे हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर इत्यादि सीमावर्ती जिलों में युवा लगातार नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं, युवा, किसानों और बहन-बेटियों से वादाखिलाफी करने वाली कांग्रेस सरकार 2023 में हमेशा के लिए सत्ता से डिलीट हो जाएगी।

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