कोटा. MBA युवा सरपंच प्रीति झाला की सड़क हादसे में हुई मौत के बाद परिवार सदमे में है। प्रीति झाला बचपन से ही फ्रेंडली नेचर की थीं। लोगों की भलाई के बारे में सोचती थीं। छोटे भाई करणी सिंह ने बताया कि एक बार बहन के साथ गांव गया था। गांव में महिलाएं सिर पर मटकी रखकर पानी ला रही थीं। प्रीति ने ये देखकर कहा कि गांव में आज भी महिला दूर-दूर से मटकियों में पानी भरकर लाती हैं। मुझे इन महिलाओं के लिए कुछ करना है। इसके बाद वह महिलाओं की भलाई के काम में जुट गईं। पंचायत चुनाव से पहले प्रीति ने अपने पिता के साथ 1 महीने गांव में कैंपेनिंग की। इस मेहनत का उसे फल मिला और सारोला ग्राम पंचायत की सरपंच बनी। सिंह ने बताया कि प्रीति ने दसवीं तक कोटा में पढ़ाई की। उसके बाद मेयो कॉलेज अजमेर में 2008 तक पढ़ाई की। प्रीति को घुड़सवारी का शौक था। उसने पढ़ाई के दौरान हॉर्स राइडिंग में मेडल जीते। जब भी समय मिलता वह हॉर्स राइडिंग करती थीं। प्रीति के पास दो घोड़े हैं। हॉर्स राइडिंग के साथ साथ उन्हें फोटोग्राफी का भी शौक था। करणी सिंह ने बताया कि पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रीति कोटा आ गईं। उन्होंने 2017 में कोटा डोरिया का बिजनेस शुरू किया। विदेशों में कोटा डोरिया की साड़ी एक्सपोर्ट की। 3-4 साल तक बिजनेस को आगे बढ़ाया। लोगों की सेवा करने का विचार उसे राजनीति में खींच लाया। साल 2019 में पंचायत चुनाव में सारोला ग्राम पंचायत की सीट जनरल महिला के लिए आरक्षित हुई तो प्रीति ने चुनाव लड़ा। बिजनेस भी साथ-साथ चल रहा था। प्रीति के पिता कांग्रेस से जुड़े रहे हैं। कोऑपरेटिव सोसाइटी के अध्यक्ष रहे। प्रीति के लोगों के लिए कुछ करने की जुनून को अच्छी तरफ समझते व जानते थे। पिता रणवीर सिंह झाला ने बेटी को सपोर्ट किया। चुनाव से पहले वो रोज उसे साथ लेकर गांव में जाते थे। लोगों से मीटिंग करवाते। 1 महीने के कैंपेनिंग में प्रीति ने सरपंच का चुनाव जीता। रणवीर झाला के परिवार में पहली बार कोई सरपंच बना।
All Rights Reserved & Copyright © 2015 By HP NEWS. Powered by Ui Systems Pvt. Ltd.