आपको बता दे की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्रागज्योतिषपुर राज्य में नरकासुर नाम का एक राक्षस था। उसने इंद्र को युद्ध में परास्त करके देवी मां की कान की बालियों को छीन लिया था। यही नहीं उसने देवताओं और ऋषियों की 16 हजार बेटियों का अपहरण करके उनको अपने स्त्रीगृह में बंदी बनाकर रखा था। स्त्रियों के प्रति नरकासुर के द्वेष को देख कर सत्यभामा ने कृष्ण से यह निवेदन किया कि उन्हें नरकासुर का वध करने का अवसर प्रदान किया जाए। कथा आगे मिलती है कि नरकासुर को यह शाप था कि उसकी मृत्यु एक स्त्री के हाथ ही होगी। सत्यभामा कृष्ण द्वारा चलाये जा रहे रथ में बैठकर युद्ध करने के लिए गयी। उस युद्ध में सत्यभामा ने नरकासुर को परास्त करके उसका वध किया और सभी कन्याओं को छुड़वा लिया। इसीलिए इस दिन को नरक चतुर्दशी भी कहते है। छोटी दिवाली भी इसी दिन मनाई जाती है। इसका कारण यह है कि नरकासुर की माता भूदेवी ने यह घोषणा की थी कि उसके पुत्र की मृत्यु के दिन को मातम के तौर पर नहीं बल्कि त्यौहार के तौर पर याद रखा जाए।
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