Download App Now Register Now

ऑनलाइन लर्निंगः ऑनलाइन एजुकेशन है आज की सबसे बडी जरूरत

देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) लागू हो गई है, अब धीरे-धीरे इसको योजनाबद्ध तरीके से विस्तार किया जा रहा है। वर्ष 2021-2022 में ई-लर्निंग को और भी ज्यादा प्राथमिकता देते हुए नए संकल्प सरकार द्वारा लिए गए। नवाचार के माध्यम से डिजिटल शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया गया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत रूचि के अनुसार छात्र अपने पाठ्यक्रमों का चयन कर सकते हैं। अब धीरे-धीरे एनईपी को देश के राज्यों में भी राज्य सरकारें लागू कर रही हैं। 2021 वर्ष में ज्यादातर समय ऑनलाइन शिक्षण प्रणाली से ही कक्षाओं का संचालन हुआ, फिर चाहे वह स्कूल शिक्षा हो या उच्च शिक्षा हो। ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था पर काफी जोर देकर, डिजिटल शिक्षा में नवाचार के माध्यम से छात्रों को शिक्षा प्राप्त करवाई गई। 
आपदा जहाँ एक ओर विनाश लाती हैं वहीं दूसरी ओर नए खोज, आविष्करों और नई जीवन शैली को अपनाने के सुनहरे अवसर भी देती हैं। कोरोना आपदा भी पूरी दुनिया के लिए एक ऐसी ही आपदा थी, जिसका दुखद पहलू यह रहा कि इसने कई लाखों लोगों की जान ले ली। मगर इसका सुखद पहलू भी हैं कि इस आपदा के बाद दुनिया के कई देशों ने आत्मनिर्भरता की तरफ कदम बढ़ाए। भारत भी उनमें से एक हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भी इस आपदा से एक क्रांतिकारी परिवर्तन आया। जिसे हम ऑनलाइन शिक्षा व्दसपदम म्कनबंजपवद के नाम से जानते हैं। इस आपदा ने न सिर्फ ऑनलाइन शिक्षा के महत्व को बढ़ाया बल्कि इसके माध्यम से लाखों बच्चे लाभान्वित भी हुए। लोगों ने ऑनलाइन शिक्षा को बेझिझक अपनाया। 
ऑनलाइन स्टडी को सरल शब्दों में इंटरनेट आधारित शिक्षा व्यवस्था कहा जा सकता हैं. कोरोना वायरस के में जब सरकार ने समस्त स्कूलों एवं शिक्षण संस्थाओं को अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया तो भारत समेत कई देशों में ऑनलाइन शिक्षा को प्रोत्साहन दिया गया। चूँकि आज प्रत्येक बच्चें की इन्टरनेट तक पहुँच हैं, इस कारण यह शिक्षा का लोकप्रिय माध्यम भी बन गई हैं. इस माध्यम से शिक्षक इंटरनेट के द्वारा देश दुनियां के किसी भी कोने में बैठे अपने छात्र के साथ संवाद स्थापित कर सकते हैं। हालांकि ऑनलाइन शिक्षा की परिकल्पना कोई नई नहीं हैं. कई सालों से विभिन्न प्लेटफॉर्म के माध्यम से यह दी जा रही थी, मगर इसे उतना गम्भीरता से नहीं लिया जाता था। मगर लॉकडाउन के कारण तेजी से इसका उपयोग बढ़ा और स्कूल न जा सकने वाले विद्यार्थी वर्चुअल रूप से अपनी अधूरी पढ़ाई को फिर से जारी रख सके. यदि यह शिक्षा माध्यम न होता तो यकीनन करोड़ो बच्चों की पढ़ाई बीच में ही छुट जाती.

क्या है ऑनलाइन शिक्षा
सरल भाषा में हम ऑनलाइन शिक्षा को उस प्रणाली के रूप में समझ सकते हैं, जिसके द्वारा विद्यार्थी अपने ही घर में बैठकर इंटरनेट और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण यथा कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन और टेबलेट के द्वारा शिक्षा प्राप्त कर सके। इस नई शिक्षा प्रणाली में दूरी और समय के बंधन को बिलकुल दूर कर दिया हैं. विद्यार्थी जहाँ चाहे वहां बैठकर रियल टाइम अथवा रिकार्डेड लेक्चरर की मदद से पढ़ाई कर सकते हैं। महामारी के इस दौर में डिजिटल शिक्षा को लोकप्रिय बनाने में हमारे शिक्षकों और सरकारों का भी बड़ा योगदान रहा हैं। ऑनलाइन शिक्षा हमारी पारंपरिक शिक्षा व्यवस्था से थोड़ा सा अलग है। पारंपरिक शिक्षा व्यवस्था में बच्चे स्कूल या कॉलेज की क्लास रूम में बैठकर अपने शिक्षक से प्रत्यक्ष रूप से जुड़कर पुस्तकों के माध्यम से शिक्षा ग्रहण करते हैं। जबकि ऑनलाइन शिक्षा में कंप्यूटर और इंटरनेट कनेक्शन के माध्यम से शिक्षक छात्रों से जुड़ कर शिक्षा देते हैं। इसकी कुछ निश्चित सीमाएं भी हैं। ऑनलाइन शिक्षा के लिए विद्यार्थीयों के पास एक इंटरनेट कनेक्शन, एक कंप्यूटर या मोबाइल फोन होना आवश्यक है। इनकी मदद से विद्यार्थी किसी ऐप के जरिए अपने शिक्षक से जुड़ कर शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं जैसे गूगल मीट, ज़ूम, टीम आदि।
कई विद्यालयों ने नियमित रूप से अपने गुरुजनों की शिक्षण गतिविधियों को बच्चों तक वर्चुअल रूप में पहुंचाना शुरू किया हैं। इससे छात्रों के लिए घर बैठकर विद्याययन में बेहद सुविधा मिली हैं। उदाहरण के लिए राजस्थान सरकार ने स्माइल प्रोजेक्ट के तहत स्कूली बच्चों को व्हाट्सएप्प के जरिये रोजाना स्टडी मेटेरियल विडियो ऑडियो आदि पहुचाएं जाते हैं। इस नई पहल से शिक्षा व्यवस्था बाधित होने की बजाय अधिक आसान हुई हैं.ऑनलाइन शिक्षा माध्यम कई कारणों से लोकप्रिय हुआ हैं। इसका संचालन और प्रदत्त सुविधाए आसान और हर इंसान तक आसानी से सुलभ हैं। यही कारण है कि नर्सरी की कक्षाओं से लेकर बड़े बड़े डिग्री कोर्स की ऑनलाइन क्लासेज चल रही हैं और बच्चें रूचि से उसमें भाग भी लेते हैं। इस कक्षा से जुड़ने के लिए सिर्फ अच्छे इन्टरनेट कनेक्शन की जरूरत होती हैं। इसमें विडियो, ऑडियो और वेब कंटेट के माध्यम से बच्चों को प्रशिक्षित किया जाता हैं। वर्ष 1993 से ऑनलाइन शिक्षा को वैध दर्जा दिया गया था। इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय कोटा, नेषनल इंस्ट्टीयूट ऑफ ऑपन स्कूलिंग जैसे देषभर में कई विष्वविधालय और संस्थान दूरस्थ षिक्षा को बढावा दे रहें है। मनीपाल विष्वविधालय जयपुर भी पूरे देष-विदेष में लोगों की पहली पंसद बनता जा रहा है। 

 

ऑनलाइन शिक्षा की आवश्यकता क्यों हुई


भारत में पिछले कई सालो से छात्रो को ऑनलाइन शिक्षा दी जाती थी। खासकर जब हमारे देश में जियो आया था तब ऑनलाइन शिक्षा को थोड़ी गति मिली थी। इस समय लोग यूट्यूब और अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से शिक्षा ले रहे थे। लेकिन उस समय ऑनलाइन शिक्षा भारत के कुछ ही राज्यों तक पहुंच पाई थी। क्योंकि उस समय लोगों को ऑनलाइन शिक्षा की ज्यादा जरूरत नहीं थी। लेकिन कोरोना वायरस की महामारी ने ऑनलाइन शिक्षा में अचानक एक बड़ा परिवर्तन ला दिया। इस वायरस की वजह से सभी लोगो को अपने घर में बंद होने की जरूरत पड़ी। इस समय दुनिया के सभी लोगों को शिक्षा प्राप्त करने का एक ही रास्ता दिखा, और वो था ऑनलाइन शिक्षा। इसी समय भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को ऑनलाइन शिक्षा की आवश्यकता हुई और यहीं से ऑनलाइन शिक्षा बहुत प्रचलित हुई। हमारी स्कूलों और शिक्षकों ने भी शिक्षा को ऑनलाइन ले जाकर छात्रों तक पहुंचाने का फैसला किया। और वर्तमान में तो ऑनलाइन शिक्षा हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है।

 

ऑनलाइन शिक्षा के प्रकार


ऑनलाइन शिक्षा को मुख्य दो भागो में विभाजित किया गया है। सिंक्रोनस शिक्षा और असिंक्रोनस शिक्षा। सिंक्रोनस शिक्षा में छात्रों को एक ही समय पर शिक्षक द्वारा शिक्षा दी जाती है। इसलिए इसे लाइव टेलीकास्ट लर्निंग भी कहा जाता है। सिंक्रोनस शिक्षा में लाइव ऑडियो और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का उपयोग किया जाता है। जब की असिंक्रोनस शिक्षा में छात्र अपनी इच्छा के मुताबिक शिक्षा प्राप्त करता है। क्योकि इसमें सभी क्लास रिकॉर्डेड होते है। हमारे देश में ज़्यादातर लोग इसी पद्धति का उपयोग करके पढ़ाई करते है।

 

ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण करने के तरीके


ऑनलाइन शिक्षा को मुख्य तीन तरीको से ग्रहण किया जा सकता है। जिसमें पहला यूट्यूब के द्वारा।  आज हर विषय के वीडियो यूट्यूब पर मौजूद है। देश और दुनिया का कोई भी छात्र यूट्यूब पर वीडियो देखकर फ्री में शिक्षा प्राप्त कर सकता है। ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण करने का दूसरा तरीका है, गूगल। गूगल द्वारा ऑनलाइन लिखित चीजें पढ़ कर भी हम बहोत अच्छी शिक्षा ग्रहण कर सकते है। इसके अलावा अगर हमें किसी चीज़ के बारे में जानना चाहते है, तो गूगल में सर्च करके निशुल्क ज्ञान प्राप्त कर सकते है। ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण करने का तीसरा मुख्य तरीका है, लाइव क्लासेस करना। वर्तमान समय में छात्र कोई भी ऑनलाइन कोर्स में एनरोलमंेंट करवाकर रेगुलर डिग्री ले सकता है। आज देषभर में ऑनलाइन एजुकेषन की मांग तेजी से बढी है, क्योंकि कार्यरत पेषेवरों के लिये ये वरदान की तरह साबित हुआ है जिसमें उन्हें अपनी नौकरी को छोडनें की आवष्यकता नहीं है। 
अंत में निष्कर्ष के रूप में यह कहा जा सकता हैं यदि प्रबंधित रूप से बच्चों को ऑनलाइन माध्यम द्वारा सीखने के अवसर दिए जाए तो वह तनाव रहित होकर रूचि के साथ सीख सकता हैं। हम टेक्स्ट बुक्स के पाठ्यक्रम के साथ इस नवीन पद्धति को नहीं अपना सकते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर बच्चों के लिए हल्के फुल्के क्रेस कोर्स बनाए जाए जो अल्प समय में सीखे जा सकते हैं। कोचिंग संस्थान भी निरंतर दस और बारह घंटों की भारी भरकम क्लास लेने की बजाय बच्चों की सेहत का ख्याल करते हुए कम समय में आकर्षक फीचर के साथ अध्यापन की व्यवस्था कराएं तो इस तकनीक आधारित शिक्षण से अधिकतम लाभ लिया जा सकता हैं।

Written By

Related News

All Rights Reserved & Copyright © 2015 By HP NEWS. Powered by Ui Systems Pvt. Ltd.

BREAKING NEWS
जल्द ही बड़ी खुशखबरी : सरकारी कर्मचारियों के तबादलों से हटेगी रोक! भजनलाल सरकार ले सकती है ये बड़ा फैसला | जल्द ही बड़ी खुशखबरी : सरकारी कर्मचारियों के तबादलों से हटेगी रोक! भजनलाल सरकार ले सकती है ये बड़ा फैसला | गाजियाबाद में पड़ोसी ने युवती के साथ किया दुष्कर्म, आरोपी गिरफ्तार | मदरसे में 7 साल के बच्चे की संदिग्ध हालत में मौत, गुस्साए लोगों ने किया हंगामा | रक्षाबंधन पर भाई ने उजाड़ दिया बहन का सुहाग, दोस्त के साथ मिलकर की बहनोई की हत्या, आरोपी गिरफ्तार | गाजियाबाद में नामी स्कूल की शिक्षिका को प्रेम जाल में फंसा कर धर्मांतरण के लिए किया मजबूर, आरोपी गिरफ्तार | यूपी टी-20 प्रीमियर लीग के उद्घाटन समारोह के लिए सीएम योगी को मिला आमंत्रण | विनेश फोगाट का अधूरा सपना पूरा करेगी काजल, अंडर-17 विश्व चैंपियनशिप में जीता गोल्ड | चिकित्सा मंत्री की पहल पर काम पर लौटे रेजीडेंट, चिकित्सकों की सुरक्षा व्यवस्था होगी और मजबूत, समस्याओं के निराकरण के लिए मेडिकल कॉलेज स्तर पर कमेटी गठित करने के निर्देश | लोहागढ़ विकास परिषद के बाल-गोपाल, माखन चोर, कृष्ण लीला, महारास कार्यक्रम में देवनानी होंगे मुख्य अतिथि |