जयपुर. राजस्थान के सरकारी और संविदा कर्मचारी प्रदेश की गहलोत सरकार के खिलाफ जयपुर में महापड़ाव करेंगे। साथ ही सम्भाग मुख्यालयों पर भी सड़कों पर उतरकर आंदोलन तेज किया जाएगा। वेतन विसंगति दूर करने, ट्रांसपरेंट ट्रांसफर पॉलिसी बनाने, प्रमोशन, संविदा और ठेका कर्मचारियों को शोषण से मुक्ति दिलाकर रेग्युलर करने, पदनाम परिवर्तन जैसी मांगों को लेकर कर्मचारी आंदोलन पर हैं। अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) के प्रदेशाध्यक्ष राजेंद्र सिंह राना और प्रदेश महामंत्री विपिन प्रकाश शर्मा ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है। महासंघ की प्रांतीय समिति ने सर्वसम्मति से यह फैसला लिया है। प्रदेश में 7 लाख सरकारी कर्मचारी और 3 लाख संविदा कर्मचारी हैं। जिनकी मांगों को लेकर कर्मचारी संघ आंदोलन कर रहा है। दूसरी ओर सैकड़ों की तादाद में प्रदेशभर से जयपुर पहुंचीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने गांधी नगर स्थित विभाग के मुख्यालय भवन के बाहर धरना प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है। नियमित करने की मांग को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता प्रदेशाध्यक्ष भगवती शर्मा और विकल्पा शर्मा के नेतृत्व में धरने पर हैं। कांग्रेस के घोषणापत्र-2018 के पेज नंबर 15 के पैरा 3 और पेज नंबर 34 के पैरा 5 में लिखा है कि संविदाकर्मियों, आंगनबाड़ी कर्मियों आदि कर्मचारियों की समस्याओं का उचित समाधान कर नियमित किया जाएगा। गहलोत सरकार ने इसे विजन डॉक्यूमेंट भी बनाया है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की प्रदेश सरकार से मांग है सभी नॉन परमानेंट कर्मचारियों को कॉन्ट्रैक्चुअल रूल्स 2022 में शामिल कर परमानेंट किया जाए। सरकार 1.60 लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और 40 हजार आशा सहयोगिनियों को केंद्र की योजना के अंतर्गत मानती है। जिसमें आधा मानदेय केंद्र और आधा राज्य सरकार भुगतान करती है। समय-समय पर राज्य सरकार इनका मानदेय भी बढ़ाती है।अलग-अलग राज्यों में इनके मानदेय (सैलेरी) में भी अंतर है। लम्बे समय से इन्हें परमानेंट करने की मांग उठ रही है। इसके अलावा साथिन को भी परमानेंट करने की मांग है।
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