केरल. हाईकोर्ट ने कहा है कि पर्सनल लॉ के तहत मुस्लिमों के बीच हुई शादी पॉक्सो एक्ट के दायरे से बाहर नहीं है। यानी पति अगर नाबालिग पत्नी के साथ संबंध बनाता है, तो उस पर पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया जा सकता है। जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस ने कहा कि पर्सनल लॉ में विवाह वैध होने के बावजूद यदि एक पक्ष नाबालिग है, तो इसे POCSO के तहत अपराध माना जाएगा। जस्टिस थॉमस ने कहा कि वे पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट के दृष्टिकोण से सहमत नहीं। जिसमें कोर्ट ने एक मुस्लिम लड़की जो 15 साल की हो चुकी है, उसे अपनी पसंद से शादी करने का अधिकार दिया था, और पति के नाबालिग लड़की के साथ शारीरिक संबंध बनाने पर POCSO के तहत केस दर्ज करने से छूट दी गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि वे मोहम्मडन लॉ के तहत 17 साल की लड़की से शादी करने वाले मो. वसीम अहमद के केस में दिए गए कर्नाटक HC के फैसले से भी सहमत नहीं, जिसमें आरोपी के खिलाफ आपराधिक मामले को खारिज कर दिया था।आपको बता दे की अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि बाल विवाह को मानवाधिकार का उल्लंघन माना गया है। यह समाज का अभिशाप है। ये बच्चे के विकास को उसकी पूरी क्षमता से समझौता कर लेता है। साथ ही यह भी कहा कि "जब कोर्ट को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता है, तो उन्हें यह पता लगाना चाहिए कि दो स्पष्ट रूप से परस्पर विरोधी प्रावधानों में से कौन सा सामान्य है और कौन खास है। जब कोई कानून, प्रथाओं या व्यक्तिगत कानून का उलटा होता है तब वैधानिक प्रावधान ही मान्य होगा। और व्यक्तिगत कानून निरस्त हो जाएगा।
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