अंबाला. हरियाणा में MBBS स्टूडेंट्स की बॉन्ड पॉलिसी को लेकर भाजपा में पहली बार मतभेद उजागर हुआ है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने बॉन्ड पॉलिसी पर नाखुशी जताई है। उन्होंने CM मनोहर लाल को लेटर लिखा कि मरीज और डॉक्टर परेशान हैं। इस पॉलिसी को एक साल के लिए टाल दिया जाए। इसके बाद इस मसले पर फैसला करें। तब तक MBBS स्टूडेंट्स को भी समझ में आ जाएगा। वहीं CM मनोहर लाल लगातार बॉन्ड पॉलिसी के फायदे गिनवा रहे हैं। पॉलिसी के खिलाफ हड़ताल पर डटे MBBS स्टूडेंट्स से वह मीटिंग भी कर चुके हैं। मीटिंग में हुए फैसले को लेकर सरकार बॉन्ड पॉलिसी की नई अधिसूचना जारी करने की तैयारी में है। वर्ष 2020 में जब बॉन्ड पॉलिसी का प्रारूप तैयार किया जा रहा था। उस वक्त भी स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने 7 साल और 40 लाख रुपए की बॉन्ड पॉलिसी पर अपनी असहमति जताई थी। उन्होंने कहा था कि यह मेडिकल स्टूडेंट्स के हित में नहीं है। उस समय भी विज ने फाइल पर लिखकर इसे नकार दिया था। उन्होंने लिखा था कि बॉन्ड पॉलिसी से बच्चों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा, इससे मैरिट वाले बच्चे हरियाणा में नहीं आएंगे। इससे सीटें खाली रह जाएंगी। बॉन्ड पॉलिसी के मुताबिक, MBBS स्टूडेंट्स को 7 साल सरकारी अस्पतालों में सेवाएं देनी होगी, जोकि अब घटाकर 5 साल करने का आश्वासन दिया गया है। प्रदेश भर के मेडिकल कॉलेज से हर साल लगभग 2 हजार स्टूडेंट्स डॉक्टर बनकर निकलते हैं। ऐसे में हर साल 2 हजार डॉक्टरों को नौकरी देना स्वास्थ्य विभाग के लिए सबसे बड़ी चुनौती भी है।
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