बिहार में सरकार ने शिक्षक बहाली में राज्य के स्थाई निवासी होने की अनिवार्यता खत्म कर दी है. राज्य कैबिनेट (Bihar Cabinet Decision) ने मंगलवार को लिए अपने फैसले में देश के किसी भी राज्य के निवासी को अब शिक्षक बहाली के लिए आवेदन करने पर सहमति जता दी है. वैसे बिहार के बाहर के निवासी को नियुक्ति में आरक्षण का किसी तरह का लाभ नहीं मिलेगा.
लेकिन, सरकार के इस फैसले के बाद राज्य के शिक्षक अभ्यर्थियों का विरोध शुरू हो गया है. दूसरी ओर इस मसले पर राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है और तो और सत्ता में शामिल दल भी सरकार के इस फैसले का विरोध करने में जुट गए हैं. वैसे इस मामले को देखा जाए तो हर राज्य में इसको लेकर अलग-अलग नियम बनाया गया है. कई ऐसे राज्य हैं जो केवल अपने यहां के अभ्यर्थियों को ही शिक्षक नियुक्ति में अवसर देते हैं.
वहीं कुछ राज्य ऐसे हैं जहां पर उसी राज्य के संस्थान से मैट्रिक और इंटर उत्तीर्ण को मौका दिया जाता है. पड़ोसी राज्य झारखंड की अगर बात कर ली जाए तो यहां सभी राज्यों के शिक्षक अभ्यर्थियों को आवेदन देने की छूट है. छत्तीसगढ़ सरकार ने यह आदेश दे रखा है कि वह अपने राज्य के स्थाई निवासी को ही शिक्षक नियुक्ति में आवेदन करने का मौका देगी. पंजाब की बात की जाए तो वहां सरकार का आदेश है कि उस राज्य के संस्थान से मैट्रिक उत्तीर्ण होना अनिवार्य होगा, तभी वह अभ्यर्थी शिक्षक नियुक्ति के लिए योग्य माना जाएगा.
उत्तराखंड में भी सरकार ने इसी तरह का आदेश दे रखा है. पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में यह नियम है कि वहां कम से कम 5 साल के अस्थाई निवासी के रूप में रह रहे आवेदक को ही शिक्षक नियुक्ति के लिए योग्य माना जाएगा. बिहार में सत्ता में शामिल भाकपा माले ने डोमिसाइल नीति समाप्त करने को गलत ठहराया है. पार्टी ने सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की है.
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