दबलाना कस्बे में स्थित श्री रामद्वारा में सोमवार को गुरु पूर्णिमा महोत्सव धूमधाम एवं हर्षोल्लास से मनाया गया। संत परशराम जी महाराज ने रामद्वारा में विराजमान गुरु महाराज की विधि विधान से मंत्रोचार के साथ विशेष पूजा अर्चना की। संत परशराम महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान बहुत महत्वपूर्ण होता है। गुरु को भगवान से भी ऊंचा दर्जा दिया जाता है। गुरु ज्ञान देते हैं। और जीवन की सही दिशा बताते हैं। गुरु की महिमा और महत्व सभी तक पहुंचाने के लिए प्रतिवर्ष आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के तौर पर मनाते हैं। पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। इस पर्व को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। संत परशराम महाराज ने यह भी कहा की मनुष्य को सत्संग में भी रूचि रखनी चाहिए। क्योंकि सत्संग वह गंगा है जिसके स्नान से पापी भी पावन हो जाता है। इस दौरान भक्तजनों ने गुरु पूजा कर संत परशराम जी महाराज को माला पहना शोल, ओढा, श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया। तो वही स्थानीय महिला मंडल ने सत्संग कीर्तन किया। कीर्तन से श्रीराम द्वारा परिसर भजनों से गूंज उठा। कीर्तन के बाद संत परशराम महाराज ने प्रसाद वितरण किया। कार्यक्रम में सतीश अरोड़ा, लड्डू सैनी, रामचरण सैनी, नंदकिशोर खारोल, देवलाल प्रजापत, भंवर लाल प्रजापत, महावीर गुर्जर , रामप्रसाद नागर, सहित आसपास के क्षेत्रों से आए हुए भक्तजन भी शामिल रहे।
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