पश्चिम बंगाल में होने वाले राज्यसभा चुनाव को लेकर तैयारियां और प्लानिंग तेजी से चल रही है. आगामी 24 जुलाई को पश्चिम बंगाल के 6 राज्यसभा सीटों पर चुनाव होने वाला है. जिसमें आंकड़ों के मुताबिक उम्मीद है कि पांच सीटों पर तृणमूल कांग्रेस सरकार जीत हासिल कर सकती है. वहीं भारतीय जनता पार्टी के हिस्से में एक सीट आ सकती है. भाजपा के पास वर्तमान समय में कुल 70 विधायक हैं. अगर भाजपा इस बार जीत हासिल करती है तो पहली बार होगा कि पश्चिम बंगाल कोटे से भाजपा के पास राज्यसभा सांसद होगा.
वहीं इस चुनाव के लिए उम्मीदवारों को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. इसी कड़ी में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य इकाई से संभावित उम्मीदवारों को लेकर अपना सुझाव भेजने को कहा है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक राज्य इकाई पांच नामों को शॉर्टलिस्ट कर रहा है. इस लिस्ट को हिंसा से प्रभावित बंगाल में पंचायत चुनावों के लिए प्रचार खत्म होने के बाद भेजा जाएगा. जिन नामों को शॉर्टलिस्ट किया जा रहा है उनमें कई प्रमुख नाम शामिल हैं.
सूत्रों का कहना है कि 73 वर्षीय फिल्म स्टार मिथुन चक्रवर्ती, जो 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए और पार्टी के लिए बड़े पैमाने पर प्रचार किया. उन्होंने खुद राज्यसभा में पार्टी का प्रतिनिधित्व करने की इच्छा व्यक्त की है. जबकि उन्होंने पहले संसद में तृणमूल कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया है. इस वक्त डिस्को किंग ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं.
एक और नाम जिस पर राज्य इकाई ने विचार किया है वह अनंत महाराज हैं, जो ग्रेटर कूच बिहार पीपुल्स एसोसिएशन के सर्वोच्च नेता हैं. अक्सर उत्तर बंगाल की आवाज़ माने जाते हैं. राज्य का एक वर्ग जहां भाजपा ने 2019 के लोकसभा के साथ-साथ 2021 के विधानसभा चुनावों में अपेक्षाकृत अच्छा प्रदर्शन किया है. अनंत महाराज उत्तर बंगाल को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने के मुद्दे का समर्थन कर रहे हैं. कई बीजेपी सांसद भी समर्थन दे चुके हैं.
अनिर्बान गांगुली भाजपा के नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन (एसपीएमआरएफ) के मानद निदेशक हैं. वह भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति (एनईसी) के सदस्य और बंगाल भाजपा की कोर कमेटी का भी हिस्सा हैं. लेकिन जो बात उन्हें अलग करती है, वह अमित शाह के साथ उनका अद्वितीय समीकरण है. गांगुली ने शाह की आधिकारिक जीवनी ‘अमित शाह एंड द मार्च ऑफ बीजेपी’ लिखी. मृदुभाषी, अंग्रेजी के साथ-साथ बांग्ला में भी पारंगत और नीतिगत मुद्दों पर अपनी पकड़ के कारण एक बुद्धिजीवी माने जाने वाले गांगुली राज्यसभा में बंगाल का प्रतिनिधित्व करने के लिए भाजपा की दावेदारी में फिट बैठते हैं.
दासगुप्ता पत्रकार से नेता बने हैं. भारत के कुछ प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों में काम करने के बाद उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया. लेकिन उन्होंने इस्तीफा दे दिया और 2021 के बंगाल विधानसभा चुनाव लड़ा. स्वपन दासगुप्ता ने दिल्ली विश्वविद्यालय साहित्य महोत्सव के पहले संस्करण का महोत्सव निदेशक के रूप में नेतृत्व किया. एक वाक्य में कहें तो कांग्रेस के लिए जो शशि थरूर हैं, वही भाजपा के लिए स्वपन दासगुप्ता हैं.
भारती घोष सूची में आखिरी लेकिन निश्चित रूप से सबसे दिलचस्प हैं. भारती घोष एक भारतीय पुलिस सेवा कर्मी थीं, जिन्होंने ममता बनर्जी के अधीन बंगाल में सेवा की और उनके साथ एक असाधारण संबंध था. इतना ही नहीं, उन्होंने एक बार सीएम ममता बनर्जी को “मा, जंगलमहल एर मां” (मां, जंगल महल की मां) कहा था. हालांकि, घोष के रिश्ते जल्द ही बनर्जी के साथ खराब हो गए, इस हद तक कि उन पर छापे मारे गए.
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