महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आज वर्षा बंगले पर अपने विधायकों की बैठक बुलाई है, जिसमें विधायकों को मंत्रिमंडल विस्तार और सरकार में अजित पवार की भूमिका के बारे में जानकारी दी जाएगी. इस तरह की कई रिपोर्ट्स भी सामने आई थीं, जिसमें कहा गया था कि अजित पवार अपने लिए वित्त विभाग चाहते हैं, लेकिन उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे इस पर सहमत नहीं हैं. अब तक मंत्रिमंडल विस्तार न होने के चलते शिंदे गुट के कई विधायक नाराज चल रहे हैं.
सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने केंद्रीय भाजपा शीर्ष नेतृत्व को बताया है कि पहले मंत्रिमंडल का विस्तार होना चाहिए और फिर विभागों का आवंटन किया जाएगा. शिंदे ने भाजपा केंद्रीय नेतृत्व से यह भी स्पष्ट कर दिया है कि विभाग आवंटित करना मुख्यमंत्री का विवेकाधिकार है, इसलिए उन्हें खुली छूट देनी चाहिए. हालांकि वह विभागों का बंटवारा दोनों डिप्टी सीएम की सलाह से करेंगे, लेकिन अजित पवार की सभी नियम और शर्तें स्वीकार नहीं की जा सकतीं.’
कहा जा रहा है कि नए उपमुख्यमंत्री अजित पवार को वित्त मंत्रालय देने पर, शिवसेना के विधायक असहज हैं. हालांकि, शिंदे गुट की ओर से अब तक किसी नेता या विधायक की नाराजगी खुलकर सामने नहीं आई है. दरअसल, पूर्ववर्ती महाविकास अघाड़ी सरकार सरकार में अजित पवार उपमुख्यमंत्री थे और वित्त विभाग उनके ही पास था. तब उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के बागी विधायकों ने आरोप लगाए थे कि उन्हें फंड के लिए परेशान किया जा रहा था, क्षेत्र के विकास के लिए पैसे नहीं मिल रहे थे, जबकि एनसीपी विधायकों को तरजीह दी जा रही थी.
एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में विधायकों की तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत का एक सबसे बड़ा मुद्दा यही था. सूत्रों की मानें तो शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के विधायकों को डर है कि फिर से वित्त विभाग यदि अजित पवार को मिलता है, तो वही पुरानी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. गौरतलब है कि अजित पवार कुछ दिनों पहले शरद पवार से बगावत कर महाराष्ट्र की एनडीए सरकार में शामिल हो गए थे. उन्होंने अपने साथ 40 विधायकों के समर्थन का दावा किया था. महाराष्ट्र में एनसीपी के कुल 54 विधायक हैं. अजित पवार ने कहा था कि उनके नेतृत्व वाली एनसीपी ही असली है.
महाराष्ट्र कैबिनेट में अधिकतम 43 मंत्री हो सकते हैं. अब तक, इनमें से 29 पद भरे जा चुके हैं और शिवसेना भाजपा गठबंधन में एनसीपी की एंट्री से मंत्री पद के उम्मीदवारों की सूची लंबी हो गई है. भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘सीएम शिंदे के लिए कैबिनेट मंत्रियों का चयन करना बहुत मुश्किल काम होगा. ऐसी संभावना है कि वह कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ लेने वाले विधायकों का चयन करते समय जाति जैसे कारकों पर विचार कर सकते हैं, जिस तरह अजित पवार ने उनके साथ कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ लेने वाले विधायकों का चयन करते समय ओबीसी, एससी-एसटी और अल्पसंख्यकों को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है.’
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