प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को भारत को वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) के लिए एक मजबूत कंधा बताया और कहा कि ग्लोबल साउथ के देशों को अभी ऊंची छलांग लगानी है और भारत उसे आगे बढ़ाने के लिए वह कंधा बन सकता है. फ्रांसीसी अखबार लेस इकोस के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, ‘ग्लोबल साउथ के लिए, भारत ग्लोबल नॉर्थ के साथ भी अपने संबंध बना सकता है. तो, उस अर्थ में, यह कंधा एक तरह से पुल का भी काम करेगा. इसलिए, मुझे लगता है कि हमें इस कंधे, इस पुल को मजबूत करने की जरूरत है ताकि उत्तर और दक्षिण के बीच मजबूत संबंध बने और ऐसा होने से ग्लोबल साउथ खुद मजबूत बन सकता है.’
फ्रांसीसी अखबार लेस इकोस के साथ एक साक्षात्कार में पीएम मोदी ने भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी के 25 साल पूरे होने पर बात की. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि हम अब एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं. अगर हम महामारी के बाद की वैश्विक व्यवस्था और इसके आकार को देखें, तो मुझे लगता है कि हमारी रणनीतिक साझेदारी का सकारात्मक अनुभव एक महत्वपूर्ण कदम है. इसलिए, हम रणनीतिक साझेदारी के अगले 25 वर्षों के रोडमैप पर काम करने के लिए तत्पर है, जो मुझे लगता है कि दोनों देशों के रिश्ते के लिए बहुत अहम है. यह संबंध अभी उत्कृष्ट स्थिति में है. यह मजबूत, विश्वसनीय और सुसंगत है. यह सबसे अंधेरे तूफान में भी स्थिर और लचीला रहा है. यह अवसरों की तलाश में साहसी और महत्वाकांक्षी रहा है.’
पीएम नरेंद्र मोदी ने फ्रांसीसी अखबार से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चुनौतियों के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा, ‘भारत-प्रशांत क्षेत्र में हमारे (भारत और फ्रांस) हित काफी व्यापक हैं और हमारा जुड़ाव गहरा है. मैंने इस क्षेत्र के लिए हमारे दृष्टिकोण को एक शब्द में वर्णित किया है – SAGAR, जिसका अर्थ क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास है…’ उन्होंने आगे कहा, ‘हालांकि हम जिस भविष्य का निर्माण करना चाहते हैं उसके लिए शांति आवश्यक है, लेकिन यह तय नहीं है. भारत हमेशा बातचीत और कूटनीति के माध्यम से मतभेदों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों की संप्रभुता, अंतरराष्ट्रीय कानून और नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का सम्मान करने के लिए खड़ा रहा है.’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बृहस्पतिवार को दो दिवसीय फ्रांस यात्रा पर रवाना हो गए. प्रधानमंत्री मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के बीच बातचीत रक्षा संबंधों को बढ़ाने पर केंद्रित रहने की उम्मीद है. समझा जाता है कि भारत द्वारा राफेल के नौसेना प्रारूप के 26 विमानों की खरीद के लिए आवश्यक तैयारियां की गई है ताकि इसकी घोषणा की जा सके. इसके साथ ही विमान के इंजन के संयुक्त विकास से जुड़े सौदे पर भी बात आगे बढ़ सकती है.
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