मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 13 जुलाई को बच्चों को जहर देने के बाद पति-पत्नी ने आत्महत्या कर ली थी. उनके पोस्टमॉर्टम के बाद उनके शव गृह नगर रीवा ले जाए गए. उनके शव रीवा पहुंचते ही पूरे इलाके में मातम पसर गया. किसी को इस घटना पर यकीन नहीं हो रहा था. 14 जुलाई को रीवा में ही उनके परिजनों ने शवों को सड़क के बीच में रखकर जमकर हंगामा किया. परिजनों ने सरकार से कहा कि मृतक के परिजनों को एक करोड़ का राशि दी जाए, घटना की जिम्मेदार कंपनी के ऊपर सख्त से सख्त कार्रवाई हो, सीबीआई से जांच हो और किसी एक परिजन को सरकारी नौकरी दी जाए. 4 घंटे चले हंगामे के बाद परिजन किसी तरह मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए तैयार हुए.
बता दें भोपाल में आत्महत्या करने वाले भूपेंद्र विश्वकर्मा का परिवार मूलत: रीवा के अम्बा गांव का रहने वाला है. भूपेंद्र भोपाल के रातीबड़ इलाके की शिव विहार कॉलोनी में लंबे समय से रह रहा था. 12-13 जुलाई की रात भूपेंद्र और उसकी पत्नी रितु ने पहले 9 साल के बेटे ऋतुरात और 3 साल के बेटे ऋषिराज को जहर दिया. उसके बाद दोनों ने फांसी लगा ली. सामूहिक आत्महत्या के बाद परिजन सभी मृतकों के शव लेकर रीवा आ गए. उसके बाद परिजनों ने रीवा-बनारस मार्ग स्थित बाईपास में चारों शव रखकर सड़क पर चक्का जाम कर दिया.
चक्का जाम की खबर मिलते ही एसडीएम अनुराग तिवारी, नायब तहसीलदार यतीश शुक्ला, सीएसपी शिवाली चतुर्वेदी सहित कई थानों का पुलिस बल मौके पर पहुंचा. सभी ने परिजनों से की गई बातचीत के बाद मामला शांत कराया. प्रशासन ने अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को दस हजार रुपये की आर्थिक सहायता भी दी. यह हंगामा करीब 4 घंटे तक चला. दूसरी ओर, परिजनों ने सरकार के सामने अपनी मांगें रखीं. परिजनों ने कहा कि मृतक के परिवार में से किसी को एक करोड़ रुपये, घटना की जिम्मेदार कंपनी के ऊपर सख्त से सख्त कार्रवाई, सीबीआई से जांच हो और परिवार के किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए.
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