दिल्ली सरकार और उप-राज्यपाल के अधिकारों को लेकर मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के पास पहुंचा. सोमवार को दिल्ली सरकार की ओर से दायर दो अलग-अलग याचिकाओं पर बैक टू बैक सुनवाई की गई. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में डीईआरसी चेयरमैन का नाम तय करने को लेकर दिल्ली सरकार की ओर से उप-राज्यपाल के खिलाफ याचिका दायर की गई थी. इस याचिका के बाद दिल्ली सरकार केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गई थी. इन दोनों मामलों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने डीईआरसी मामले में सुनवाई करते हुए सलाह दी कि दिल्ली के सीएम और एलजी को बैठकर एक सूटेबल नाम पर विचार करना चाहिए.
बताते चलें कि दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (DERC) के नए चेयरमैन के पद पर जस्टिस उमेश कुमार की नियुक्ति की गई है. दिल्ली के उप-राज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से तय किए इस नाम को लेकर दिल्ली सरकार सहमत नहीं है. दिल्ली सरकार की ओर से इस नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. इस पर सीजेआई जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुआई वाली तीन सदस्यीय बेंच ने सुनवाई की.
सुनवाई के दौरान सालिसिटर जनरल ने कहा कि आज की पोजीशन ये है कि कोई काम नहीं कर पा रहा है. संसद का मॉनसून सत्र आगामी 20 जुलाई से शुरू होने जा रहा है. इसके लिए हमें इंतजार करना चाहिए. इस संबंध में संसद कानून पास कर सकती है.
इस मामले पर दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि डीईआरसी मे आज कोई हेड नहीं है. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के सीएम और एलजी को बैठकर एक सूटेबल नाम पर विचार करना चाहिए. चीफ जस्टिस ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और एलजी राजनीति से ऊपर उठकर DERC चेयरमैन के पद के नाम को तय करें.
उधर, दिल्ली के उप-राज्यपाल की ओर से पेश वकील हरीश साल्वे ने कहा दिल्ली सरकार कोर्ट में आकर निगेटिव बात करती है. उनकी तरफ से कभी ये नही कहा जाता है कि संवैधानिक पहलू पर हम इस विवाद का हल निकालेंगे. एलजी की तरफ से कहा गया कि इस मामले में कोई विनर या लूजर नही है. संविधान सबसे बड़ा है.
एलजी के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि मैं एलजी के पक्ष में हूं और मुझे इससे कोई दिक्कत नहीं है. मुझे निर्देशों की आवश्यकता नहीं है. ऐसा ही होना चाहिए. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली सरकार के वकील ने यह कहना शुरू कर दिया कि उन्हें कोई उम्मीद नहीं है. पहली प्रतिक्रिया यह होनी चाहिए कि हां, हम यह करेंगे.
इसके अलावा दिल्ली सरकार के अधिकारों में हस्तक्षेप करने वाले केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ दायर याचिका पर भी सुनवाई की गई. इस मामले में दिल्ली में अधिकारियों की नियुक्ति और तबादलों को लेकर केंद्र सरकार के अध्यादेश के संबंध में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ये पीठ इस मामले को संविधान पीठ के पास भेजना चाहती है.
संविधान पीठ विचार करेगी कि क्या संविधान की एंट्री 41 में इस तरह का संशोधन किया जा सकता है? इस मामले में भी गुरुवार को ही सुनवाई की जाएगी. कोर्ट उस दिन तय करेगा कि इस अध्यादेश के मामले को संविधान पीठ को भेजा जाए या नहीं.
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