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गेहलोत-पायलट के बिच सुलह की कोशिश में हाईकमान:आज खरगे की बैठक गहलोत-पायलट से ; अल्टीमेटम कल खत्म होगा, अगले सियासी कदम की घोषणा संभव

बीजेपी राज के करप्शन पर कार्रवाई और पेपर लीक के मुद्दे पर सचिन पायलट के अल्टीमेटम के बीच कांग्रेस हाईकमान मामले में सुलह की कोशिश में जुट गया है। सचिन पायलट का अल्टीमेटम कल खत्म हो रहा है। मामले में सुलह नहीं होने पर 31 मई के बाद सचिन पायलट नए सिरे से आंदोलन की घोषणा कर सकते हैं। कांग्रेस हाईकमान से जुड़े नेता पूरे मामले में बीच का रास्ता निकालकर सुलह के प्रयास में हैं। राजस्थान के मामले को लेकर दिल्ली में अंदरखाने नेताओं के बीच मुलाकातों और बातचीत का सिलसिला जारी है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे आज ​अशोक गहलोत और सचिन पायलट से अलग-अलग मिलने वाले हैं। दोनों नेता खरगे से मिलकर अपनी बात रख सकते हैं। राजस्थान के विधानसभा चुनावों को लेकर भी दिल्ली में बैठक है। इसमें वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। उस बैठक में पायलट को भी बुलाया है। चुनावी रणनीति वाली बैठक पांचों चुनावी राज्यों की अलग-अलग हो रही हैं, लेकिन सबकी निगाह गहलोत-पायलट मामले को लेकर मल्लिकार्जुन खरगे से होने वाली बैठक पर टिकी है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राजस्थान के मुद्दे पर कहा है कि नेता आने वाले हैं। उनसे डिस्कशन होगा। जो पार्टी हित में होगा, उस पर चर्चा करेंगे। सचिन पायलट ने पेपर लीक और बीजेपी राज के करप्शन के खिलाफ 11 मई से अजमेर से जयपुर के बीच पैदल यात्रा की थी। 15 मई को यात्रा के समापन पर जयपुर के मानसरोवर में की गई सभा में पायलट ने तीन मांगें रखकर 15 दिन में उन पर कार्रवाई करने का अल्टीमेटम दिया। पायलट ने पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे की सरकार के करप्शन पर हाईलेवल कमेटी बनाने, आरपीएससी को भंग कर पुनर्गठन करने और पेपर लीक से प्रभावित बेरोजगारों को मुआवजा देने की मांग रखी थी। तीनों मांगें पूरी नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी थी। पायलट के अल्टीमेटम को 30 मई को 15 दिन पूरे हो जाएंगे। तीनों में से किसी मांग को सरकार ने नहीं माना है।

पायलट की मांगों पर सीएम अशोक गहलोत ने विपक्ष की आड़ लेकर कहा था कि पेपर लीक पर मुआवजा मांगने को बुद्धि का दिवालियापन नहीं कहेंगे क्या, अब तक कभी पेपर लीक पर किसी सरकार ने मुआवजा दिया है क्या, ऐसा कभी हुआ है? गहलोत ने यह बयान गुरुवार शाम को जयपुर में सिंधीकैंप बस स्टैंड के नए टर्मिनल के लोकार्पण समारोह में दिया था। गहलोत ने मुआवजे की मांग को "बुद्धि का दिवालियापन' बताकर यह संकेत दे दिए कि तीनों में से किसी मांग को नहीं माना जाएगा।

पायलट और गहलोत के खेमों के बीच अभी तक टकराव के आसार साफ दिख रहे हैं, हालांकि हाईकमान के नेता अंदरखाने सुलह की कोशिश में लगे हैं। सुलह का रास्ता पायलट और गहलोत पर निर्भर करेगा। दोनों नेता कितना झुकते हैं। इस पर सब कुछ निर्भर करेगा। कांग्रेस हाईकमान आज दोनों नेताओं को अलग-अलग बुलाकर सुलह का फाॅर्मूला तय कर सकता है।

सचिन पायलट मामले को सुलझाने में आज और कल का दिन अहम माना जा रहा है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक इस मामले में पायलट को भी अपने समर्थक वर्ग को जवाब देना है, क्योंकि उन्होंने अल्टीमेटम देकर आंदोलन की चेतावनी दी थी। अल्टीमेटम कल खत्म हो रहा है। अल्टीमेटम खत्म होने के बाद अब आगे क्या करेंगे, इसके बारे में भी पायलट को घोषणा करनी होगी, क्योंकि राजनीतिक विश्वसनीयता का मामला है। अगर सुलह होती है तो एक रास्ता यह भी है कि पायलट अल्टीमेटम को आगे बढ़ा सकते हैं। सबसे बड़ा मुद्दा तीनों मांगों का है, सवाल यह भी है कि उनके पूरे हुए बिना पायलट जनता के बीच जाकर कहेंगे क्या? फिलहाल गहलोत ने तीनों मांगों पर इशारों में रेड सिग्नल दे दिया है। इस हालत में सब कुछ हाईकमान पर निर्भर करेगा। पायलट की मांगों पर सहमति बनती है तो ही सुलह का रास्ता बनता है।

सचिन पायलट मामले में सुलह का कोई भी फाॅर्मूला तय होता है तो अल्टीमेटम की तीन मांगों के साथ उनके सियासी मुद्दों पर भी चर्चा होने के आसार हैं। पायलट टिकट वितरण में अपनी भूमिका भी चाहेंगे। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक सुलह फाॅर्मूले में पायलट की पार्टी में भूमिका पर भी चर्चा होगी। विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने में चार महीने का समय बचा है। अगले दो महीनों में चुनावी कमेटियां बन जाएंगी और टिकट वितरण पर एक्सरसाइज शुरू हो जाएगी। टिकट पर फैसला करने वाली कमेटियों में पायलट शामिल होते हैं तो ही वे समर्थकों को टिकट दिलवा पाएंगे, इसलिए यह मुद्दा भी अहम रहेगा।

पायलट से अगर सुलह नहीं होती है तो फिर राजस्थान कांग्रेस में टकराव बढ़ेगा। पायलट फिर सियासी अलगाव के रास्ते पर आगे बढ़ सकते हैं। कांग्रेस के जानकारों का मानना है कि हाईकमान के पास पूरा फीडबैक है, इसीलिए सुलह की कोशिश शुरू की है। पायलट अलग सियासी लाइन लेते हैं तो चुनावी साल में कांग्रेस को ही नुकसान है, इसी नुकसान से बचने के लिए सियासी सुलह करवाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

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