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आंधी-तूफान और तेज बारिश के बीच टूटा रोपवे का तार, लोगों की हलक में आई जान, याद आ गई मातारानी

मध्य प्रदेश के देवास जिले में 3 जून को दिल दहला देने वाला वाकया हुआ. यहां कुछ लोग मां तुलजा भवानी और मां चामुंडा के दर्शन करने माता की टेकरी आए. तेज आंधी-तूफान और बारिश के बीच जब ये लोग रोपवे में सवार होकर आधे रास्ते पहुंचे तो उसका एक तार टूट गया. तार टूटने से रोपवे की ट्रॉली डगमगाने लगी. ये देख उसमें सवार लोगों की जान हलक में आ गई

गौरतलब है कि, शनिवार को देवास में करीब एक घंटे तक तेज आंधी-तूफान के साथ बारिश हुई. हवा की गति इतनी थी कि माता की टेकरी पर लगी रोपवे का एक तार रिंग से अलग हो गया. इसे वजह से कई फीट ऊंची लगी ट्रॉली डगमगाने लगी. इस वक्त हवा में तीन ट्रॉलियों में उड़ीसा और आंध्रप्रदेश के परिवारों के दस लोग थे. 4 लोग तो एक ट्रॉली से किनारे आ गए. लेकिन, बची 2 ट्रॉलियों में 6 लोग फंस गए.

जानकारी के मुताबिक, वे करीब 1 घंटे तक वहीं लटके रहे. इस बीच उनकी हालत खराब हो गई. इधर, जैसे ही मैनेजमेंट और मेंटेनेंस टीम को इसकी खबर लगी, वैसे ही उसने काम शुरू कर दिया. उन्होंने सभी लोगों को सुरक्षित निकाल लिया. बताया जा रहा है कि रोपवे पर फिलहाल मेंटनेंस का काम चल रहा है. मेंटेनेंस की टीम तार और रिंग को जोड़ रही है.

दूसरी ओर, इस घटना की सूचना मिलते ही नगर निगम के अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए थे. इसके बाद एनडीआरएफ की टीम को सूचना दी गई. सूचना मिलते ही वह टीम भी मौके पर पहुंच गई. गौरतलब है कि, माता की टेकरी पर लोग मां तुलजा भवानी और मां चामुंडा के दर्शन करने आते हैं. मान्‍यता है कि माता रानी की जिसपर महर होती है, उसका उद्धार हो जाता है.

मान्‍यता यह भी है कि यहां माता 24 घंटे में तीन बार अपना स्‍वरूप बदलती हैं. यहां माता सती का रक्‍त गिरा था, जिसके कारण इसे रक्‍त शक्ति पीठ का दर्जा प्राप्‍त है. गुरु गोरखनाथ, राजा भर्तृहरि, सद्गुरु शीलनाथ महाराज जैसे कई सिद्ध पुरुषों ने यहां पर तपस्‍या की थी. राजा विक्रमादित्य और पृथ्वीराज चौहान भी माता के दरबार में माथ टेकते थे.

यहां माता को पान का बीड़ा खिलाने की प्रथा है. मां चामुंडा और तुलजा भवानी नाथ सम्प्रदाय की इष्ट देवी मानी जाती हैं. अष्टमी और नवमी के दिन यहां पर राज परिवार पूजन कर हवन में आहुति देते हैं. यहां शिखर दर्शन का विशेष महत्‍व है. मान्यताओं के अनुसार यहां देवी मां के दोनों स्वरूप जागृत अवस्था में हैं. इन दोनों स्वरूपों को छोटी मां और बड़ी मां के नाम से जाना जाता है. बड़ी माँ को तुलजा भवानी और छोटी मां को चामुण्डा देवी का स्वरूप माना गया है.

 

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