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बारिश का मौसम 'वृक्षारोपण' और 'जल संरक्षण' के लिए जरूरी, Mann Ki Baat में बोले PM मोदी

पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) आज अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ (Mann Ki Baat) के 103वें एपिसोड को संबोधित कर रहे हैं. पीएम मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ को ऑल इंडिया रेडियो पर सुना जा सकता है. इसका प्रसारण दूरदर्शन पर भी किया जाता है. श्रोता पीएम नरेंद्र मोदी के फेसबुक पेज पर जाकर भी मन की बात को सुन सकते हैं. इसके अलावा ऑल इंडिया रेडियो और पीएमओ के ट्विटर हैंडल पर भी इससे जुड़े अपडेट मिलते रहते हैं. हाल ही में पीएम मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ने अपना 100वां एपिसोड पूरा किया, जिसे 26 अप्रैल को पूरे देश में लाइव प्रसारित किया गया. 30 अप्रैल को इसका वैश्विक प्रसारण भी हुआ. इस कार्यक्रम का न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में भी सीधा प्रसारण किया गया. पीएम मोदी का मासिक रेडियो प्रोग्राम महिलाओं, युवाओं और किसानों जैसे कई सामाजिक समूहों तक सरकार के सिटिजन आउटरीच प्रोग्राम का एक प्रमुख स्तंभ बन गया है और इसने सामुदायिक कार्रवाई को प्रेरित किया है.

– पीएम मोदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में Musical Nights हों, High Altitudes में Bike Rallies हों, चंडीगढ़ के local clubs हों, और, पंजाब में ढेर सारे Sports Groups हों, ये सुनकर लगता है, Entertainment की बात हो रही है , Adventure की बात हो रही है. लेकिन बात कुछ और है, ये आयोजन एक ‘common cause’ से भी जुड़ा हुआ है. और ये common cause है – ड्रग्स के खिलाफ जागरूकता अभियान. जम्मू-कश्मीर के युवाओं को ड्रग्स से बचाने के लिए कई Innovative प्रयास देखने को मिले हैं. यहां, Musical Night, Bike Rallies जैसे कार्यक्रम हो रहे हैं. चंडीगढ़ में इस Message को Spread करने के लिए Local Clubs को इससे जोड़ा गया है. वे इन्हें वादा क्लब कहते हैं. VADA यानी Victory Against Drugs Abuse. पंजाब में कई Sports Groups भी बनाए गए हैं, जो Fitness पर ध्यान देने और नशा मुक्ति के लिए Awareness Campaign चला रहे हैं. नशे के खिलाफ अभियान में युवाओं की बढ़ती भागीदारी बहुत उत्साह बढ़ाने वाली है. ये प्रयास, भारत में नशे के खिलाफ अभियान को बहुत ताकत देते हैं. हमें देश की भावी पीढ़ियों को बचाना है, तो उन्हें, drugs से दूर रखना ही होगा. इसी सोच के साथ, 15 अगस्त 2020 को ‘नशा मुक्त भारत अभियान’ की शुरुआत की गई थी. इस अभियान से 11 करोड़ से ज्यादा लोगों को जोड़ा गया है. दो हफ्ते पहले ही भारत ने drugs के खिलाफ बहुत बड़ी कारवाई की है. drugs की करीब डेढ़ लाख किलो की खेप को जब्त करने के बाद उसे नष्ट कर दिया गया है. भारत ने 10 लाख किलो Drugs को नष्ट करने का अनोखा record भी बनाया है. इन Drugs की कीमत 12,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा थी. मैं, उन सभी की सराहना करना चाहूँगा, जो, नशा मुक्ति के इस नेक अभियान में अपना योगदान दे रहे हैं. नशे की लत, न सिर्फ परिवार, बल्कि, पूरे समाज के लिए बड़ी परेशानी बन जाती है. ऐसे में यह खतरा हमेशा के लिए ख़त्म हो, इसके लिए जरुरी है कि हम सब एकजुट होकर इस दिशा में आगे बढ़ें.

– पीएम मोदी ने कहा कि ‘मन की बात’ में मुझे इस बार काफी संख्या में ऐसे पत्र भी मिले हैं, जो मन को बहुत ही संतोष देते है. ये चिट्ठी उन मुस्लिम महिलाओं ने लिखी हैं, जो हाल ही में हज यात्रा करके आई हैं. उनकी ये यात्रा कई मायनों में बहुत खास है. ये वो महिलाएं हैं, जिन्होंने, हज की यात्रा, बिना किसी पुरुष सहयोगी या मेहरम के बिना पूरी की है और ये संख्या सौ-पचास नहीं, बल्कि, 4 हजार से ज्यादा है- यह एक बड़ा बदलाव है. पहले, मुस्लिम महिलाओं को बिना मेहरम, ‘हज’ करने की इजाजत नहीं थी. मैं ‘मन की बात’ के माध्यम से सऊदी अरब सरकार का भी ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूं. बिना मेहरम ‘हज’ पर जा रही महिलाओं के लिए ख़ासतौर पर women coordinators नियुक्ति की गई थी. साथियो, बीते कुछ वर्षों में हज पॉलिसी में जो बदलाव किए गए हैं, उनकी भरपूर सराहना हो रही है. हमारी मुस्लिम माताओं और बहनों ने इस बारे में मुझे काफी कुछ लिखा है. अब, ज्यादा से ज्यादा लोगों को ‘हज’ पर जाने का मौका मिल रहा है. ‘हज यात्रा’ से लौटे लोगों ने, विशेषकर हमारी माताओं-बहनों ने चिट्ठी लिखकर जो आशीर्वाद दिया है, वो अपने आप में बहुत प्रेरक है.

– पीएम मोदी ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड की कुछ माताओं और बहनों ने जो पत्र मुझे लिखे हैं, वो भावुक कर देने वाले हैं. उन्होंने अपने बेटे को, अपने भाई को, खूब सारा आशीर्वाद दिया है. उन्होंने लिखा है कि ‘उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी, कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर रहा ‘भोजपत्र’, उनकी आजीविका का, साधन, बन सकता है. आप सोच रहे होंगे कि यह पूरा माजरा है क्या? साथियो, मुझे यह पत्र लिखे हैं चमोली जिले की नीती-माणा घाटी की महिलाओं ने. ये वो महिलाएं हैं, जिन्होंने पिछले साल अक्टूबर में मुझे भोजपत्र पर एक अनूठी कलाकृति भेंट की थी. यह उपहार पाकर मैं भी बहुत अभिभूत हो गया. आखिर, हमारे यहाँ प्राचीन काल से हमारे शास्त्र और ग्रंथ, इन्हीं भोजपत्रों पर सहेजे जाते रहे हैं. महाभारत भी तो इसी भोजपत्र पर लिखा गया था. आज, देवभूमि की ये महिलाएं, इस भोजपत्र से, बेहद ही सुंदर-सुंदर कलाकृतियाँ और स्मृति चिन्ह बना रही हैं. माणा गांव की यात्रा के दौरान मैंने उनके इस यूनिक प्रयास की सराहना की थी. मैंने, देवभूमि आने वाले पर्यटकों से अपील की थी, कि वो, यात्रा के दौरान ज्यादा से ज्यादा लोकल सामान खरीदें. इसका वहां बहुत असर हुआ है. आज, भोजपत्र के उत्पादों को यहां आने वाले तीर्थयात्री काफी पसंद कर रहे हैं और इसे अच्छे दामों पर खरीद भी रहे हैं. भोजपत्र की यह प्राचीन विरासत, उत्तराखंड की महिलाओं के जीवन में खुशहाली के नए-नए रंग भर रही है. मुझे यह जानकर भी खुशी हुई है कि भोजपत्र से नए-नए सामान बनाने के लिए राज्य सरकार, महिलाओं को ट्रेनिंग भी दे रही है. राज्य सरकार ने भोजपत्र की दुर्लभ प्रजातियों को संरक्षित करने के लिए भी अभियान शुरू किया है. जिन क्षेत्रों को कभी देश का आखिरी छोर माना गया था, उन्हें अब, देश का प्रथम गांव मानकर विकास हो रहा है. ये प्रयास अपनी परंपरा और संस्कृति को संजोने के साथ आर्थिक तरक्की का भी जरिया बन रहा है.

– पीएम मोदी ने कहा कि आज मैं आपको एक और दिलचस्प बात भी बताना चाहता हूं. कुछ दिन पहले Social Media पर एक अद्भुत craze दिखा. अमेरिका ने हमें 100 से ज्यादा दुर्लभ और प्राचीन कलाकृतियाँ वापस लौटाई हैं. इस खबर के सामने आने के बाद Social Media पर इन कलाकृतियों को लेकर खूब चर्चा हुई. युवाओं में अपनी विरासत के प्रति गर्व का भाव दिखा. भारत लौटीं ये कलाकृतियां ढाई हजार साल से लेकर ढाई सौ साल तक पुरानी हैं. आपको यह भी जानकर खुशी होगी कि इन दुर्लभ चीजों का नाता देश के अलग-अलग क्षेत्रों से है. ये Terracotta, Stone, Metal और लकड़ी के इस्तेमाल से बनाई गई हैं. इनमें से कुछ तो ऐसी हैं, जो आपको, आश्चर्य से भर देंगी. आप इन्हें देखेंगे, तो देखते ही रह जायेंगे. इनमें 11वीं शताब्दी का एक खुबसूरत सैंडस्टोन स्कल्पचर भी आपको देखने को मिलेगा. ये नृत्य करती हुई एक ‘अप्सरा’ की कलाकृति है, जिसका नाता, मध्य प्रदेश से है. चोल युग की कई मूर्तियाँ भी इनमें शामिल हैं. देवी और भगवान मुर्गन की प्रतिमाएं तो 12वीं शताब्दी की हैं और तमिलनाडु की वैभवशाली संस्कृति से जुड़ी हैं. भगवान गणेश की करीब एक हजार वर्ष पुरानी कांसे की प्रतिमा भी भारत को लौटाई गई है. ललितासन में बैठे उमा-महेश्वर की एक मूर्ति 11वीं शताब्दी की बताई जाती है, जिसमें वह दोनों नंदी पर आसीन हैं. पत्थरों से बनी जैन तीर्थंकरों की दो मूर्तियाँ भी भारत वापस आई हैं. भगवान सूर्य देव की दो प्रतिमाएं भी आपका मन मोह लेंगी. इनमें से एक Sandstone से बनी है. वापस लौटाई गई चीजों में लकड़ी से बना एक पैनल भी है, जो समुद्रमंथन की कथा को सामने लाता है. 16वीं-17वीं सदी के इस पैनल का जुड़ाव दक्षिण भारत से है. साथियो, यहां मैंने तो बहुत कम ही नाम लिए हैं, जबकि देखें, तो यह लिस्ट बहुत लंबी है. मैं, अमेरिकी सरकार का आभार करना चाहूंगा, जिन्होंने हमारी इस बहुमूल्य विरासत को, लौटाया है. 2016 और 2021 में भी जब मैंने अमेरिका की यात्रा की थी, तब भी कई कलाकृतियां भारत को लौटाईं गईं थीं. मुझे विश्वास है कि ऐसे प्रयासों से हमारी सांस्कृतिक धरोहरों की चोरी रोकने को इस बात को ले करके देशभर में जागरूकता बढ़ेगी. इससे हमारी समृद्ध विरासत से देशवासियों का लगाव भी और गहरा होगा.

-पीएम मोदी ने कहा कि कई बार जब हम इकोलॉजी, Flora, Fauna, Bio Diversity जैसे शब्द सुनते हैं, तो कुछ लोगों को लगता है कि ये तो Specialized Subject हैं. इनसे जुड़े एक्सपर्ट के विषय हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। अगर हम वाकई प्रकृति प्रेम करते हैं, तो हम अपने छोटे-छोटे प्रयासों से भी बहुत कुछ कर सकते हैं। तमिलनाडु में वाडावल्ली के एक साथी हैं, सुरेश राघवन जी. राघवन जी को Painting का शौक है. आप जानते हैं, Painting कला और Canvas से जुड़ा काम है, लेकिन, राघवन जी ने तय किया कि वो अपनी Paintings के जरिए पेड़-पौधों और जीव जंतुओं की जानकारी को संरक्षित करेंगे. वो अलग-अलग Flora और Fauna की Paintings बनाकर उनसे जुड़ी जानकारी का Documentation करते हैं. वो अब तक दर्जनों ऐसी चिड़ियाओं की, पशुओं की, Orchids की Paintings बना चुके हैं, जो विलुप्त होने की कगार पर हैं. कला के जरिए प्रकृति की सेवा करने का ये उदाहरण वाकई अद्भुत है.

– एक प्रयास इन दिनों उज्जैन में चल रहा है. यहां देशभर के 18 चित्रकार, पुराणों पर आधारित आकर्षक चित्रकथाएं बना रहे हैं. ये चित्र, बूंदी शैली, नाथद्वारा शैली, पहाड़ी शैली और अपभ्रंश शैली जैसी कई विशिष्ट शैलियों में बनेंगे. इन्हें उज्जैन के त्रिवेणी संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाएगा, यानी कुछ समय बाद, जब आप उज्जैन जाएंगे, तो महाकाल महालोक के साथ-साथ एक और दिव्य स्थान के आप दर्शन कर सकेंगे. उज्जैन में बन रही इन पेंटिग्स की बात करते हुए मुझे एक और अनोखी पेंटिग की याद आ गई है। ये पेंटिग राजकोट के एक आर्टिस्ट प्रभात सिंग मोडभाई बरहाट जी ने बनाई थी. ये पेंटिग छत्रपति वीर शिवाजी महाराज के जीवन के एक प्रसंग पर आधारित थी. आर्टिस्ट प्रभात भाई ने दर्शाया था कि छत्रपति शिवाजी महाराज राज्याभिषेक के बाद अपनी कुलदेवी ‘तुलजा माता’ के दर्शन करने जा रहे थे, तो उस समय क्या माहौल था. अपनी परम्पराओं, अपनी धरोहरों को जीवंत रखने के लिए हमें उन्हें सहेजना होता है, उन्हें जीना होता है, उन्हें अगली पीढ़ी को सिखाना होता है. मुझे खुशी है कि आज इस दिशा में अनेकों प्रयास हो रहे हैं.

– मुझे दो अमेरिकन दोस्तों के बारे में पता चला है जो कैलिफोर्निया से यहां अमरनाथ यात्रा करने आए थे. इन विदेशी मेहमानों ने अमरनाथ यात्रा से जुड़े स्वामी विवेकानंद के अनुभवों के बारे में कहीं सुना था. उससे उन्हें इतनी प्रेरणा मिली कि ये खुद भी अमरनाथ यात्रा करने आ गए। ये, इसे भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद मानते हैं. यही भारत की खासियत है कि सबको अपनाता है, सबको कुछ न कुछ देता है.

– ऐसे ही एक फ्रेंच मूल की महिला हैं – शारलोट शोपा. बीते दिनों जब मैं फ्रांस गया था तो इनसे मेरी मुलाकात हुई थी. शारलोट शोपा एक योग करने वाली हैं, योग टीचर हैं और उनकी उम्र 100 साल से भी ज्यादा है. वो सेंचुरी पार कर चुकी हैं. वो पिछले 40 साल से योग का अभ्यास कर रही हैं. वो अपने स्वास्थ्य और 100 साल की इस आयु का श्रेय योग को ही देती हैं. वो दुनिया में भारत के योग विज्ञान और इसकी ताकत का एक प्रमुख चेहरा बन गई हैं.

– इस समय ‘सावन’ का पवित्र महीना चल रहा है. सदाशिव महादेव की साधना-आराधना के साथ ही ‘सावन’ हरियाली और खुशियों से जुड़ा होता है. इसलिए, ‘सावन’ का आध्यात्मिक के साथ ही सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्व रहा है. सावन के झूले, सावन की मेहंदी, सावन के उत्सव – यानी ‘सावन’ का मतलब ही आनंद और उल्लास होता है. हमारे ये पर्व और परम्पराएं हमें गतिशील बनाते हैं. सावन में शिव आराधना के लिए कितने ही भक्त कांवड़ यात्रा पर निकलते हैं. ‘सावन’ की वजह से इन दिनों 12 ज्योतिर्लिंगों में भी खूब श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. आपको ये जानकार भी अच्छा लगेगा कि बनारस पहुंचने वाले लोगों की संख्या भी रिकॉर्ड तोड़ रही है. अब काशी में हर साल 10 करोड़ से भी ज्यादा पर्यटक पहुंच रहे हैं.

– कुछ समय पहले मैं MP के शहडोल गया था. वहां मेरी मुलाकात पकरिया गांव के आदिवासी भाई-बहनों से हुई थी. वहीं पर मेरी उनसे प्रकृति और पानी को बचाने के लिए भी चर्चा हुई थी. अभी मुझे पता चला है कि पकरिया गांव के आदिवासी भाई-बहनों ने इसे लेकर काम भी शुरू कर दिया है. यहां प्रशासन की मदद से लोगों ने करीब सौ कुओं को वॉटर रिचार्ज सिस्टम में बदल दिया है. कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश में एक दिन में 30 करोड़ पेड़ लगाने का रिकॉर्ड बनाया गया है. इस अभियान की शुरुआत राज्य सरकार ने की. उसे पूरा, वहां के लोगों ने किया. ऐसे प्रयास जन-भागीदारी के साथ-साथ जन-जागरण के भी बड़े उदाहरण हैं. मैं चाहूंगा कि हम सब भी पेड़ लगाने और पानी बचाने के इन प्रयासों का हिस्सा बनें.

– मन की बात में पीएम मोदी ने कहा कि स्थानीय लोगों ने, हमारे NDRF के जवानों ने, स्थानीय प्रशासन के लोगों ने, दिन-रात लगाकर ऐसी आपदाओं का मुकाबला किया है. किसी भी आपदा से निपटने में हमारे सामर्थ्य और संसाधनों की भूमिका बड़ी होती है- लेकिन इसके साथ ही, हमारी संवेदनशीलता और एक दूसरे का हाथ थामने की भावना, उतनी ही अहम होती है. सर्वजन हिताय की यही भावना भारत की पहचान भी है और भारत की ताकत भी है.

–  मन की बात में पीएम मोदी ने कहा कि बारिश का यही समय ‘वृक्षारोपण’ और ‘जल संरक्षण’ के लिए भी उतना ही जरुरी होता है. आजादी के ‘अमृत महोत्सव’ के दौरान बने 60 हजार से ज्यादा अमृत सरोवरों में भी रौनक बढ़ गई है. अभी 50 हजार से ज्यादा अमृत सरोवरों को बनाने का काम चल भी रहा है. हमारे देशवासी पूरी जागरूकता और जिम्मेदारी के साथ ‘जल संरक्षण’ के लिए नए-नए प्रयास कर रहे हैं.

– मन की बात में पीएम मोदी ने कहा कि बीते कुछ दिन प्राकृतिक आपदाओं के कारण चिंता और परेशानी से भरे रहे हैं. यमुना समेत कई नदियों में बाढ़ से कई इलाकों में लोगों को तकलीफ उठानी पड़ी है. पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन की घटनाएं भी हुई हैं. इसी दौरान देश के पश्चिमी हिस्से में कुछ समय पूर्व गुजरात के इलाकों में बिपरजॉय साइक्लोन भी आया. लेकिन साथियों, इन आपदाओं के बीच, हम सब देशवासियों ने फिर दिखाया है कि सामूहिक प्रयास की ताकत क्या होती है.

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