यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ज्ञानवापी विवाद पर बयान पर कान्हा की नगरी के साधु-संतों ने खुशी जताई है. काशी विद्वत परिषद के पश्चिम भारत के प्रभारी कार्ष्णी नागेंद्र महाराज ने कहा कि मुख्यमंत्री का बयान सनातनियों के लिए हर्ष का विषय है. उन्होंने कहा कि काशी के साथ साथ यह श्रीकृष्ण जन्मभूमि के लिए भी शुभ संकेत है और हमें ज्ञानवापी पर पूजा का अधिकार मिलना चाहिए. उन्होंने देश के गृह मंत्री अमित शाह से सनातनियों की आस्था को ध्यान में रखते हुए मांग की कि जल्द ही वर्शिप एक्ट में बदलाव लाना चाहिए, ताकि औरंगजेब और बाबर की निशानी को मुंह तोड़ जवाब दिया जा सके.
श्री कृष्ण जन्म भूमि एवं शाही विवाद मामले के पक्षकार याचिकाकर्ता अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री के बयान कि हम सराहना करते हैं. मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद मुस्लिम भाइयों को पहल करते हुए ज्ञानवापी और श्री कृष्ण जन्मस्थान पर अवैध रूप से बनाए गए ढांचे को हटा लेना चाहिए, जिसके लिए श्री कृष्ण जन्मभूमि न्यास मेवात में मुस्लिम भाइयों को 10 एकड़ जमीन देने के लिए तैयार है.
सीएम योगी ने एक इंटरव्यू में पूरे विवाद पर कहा कि अगर हम उसे मस्जिद कहेंगे तो विवाद होगा. योगी बोले कि उन्हें लगता है भगवान ने जिसको दृष्टि दी है वो देखे ना…त्रिशूल मस्जिद में क्या कर रहा था? त्रिशूल हमने तो नहीं रखे…ज्योतिर्लिंग हैं, प्रतिमाएँ हैं.गलती पर मुस्लिम समाज से प्रस्ताव आना चाहिए कि ऐतिहासिक गलती हुई है और इस का समाधान होना चाहिए. सीएम योगी ने कहा कि वह पिछले छह साल से यूपी की कमान संभाल रहे हैं. लेकिन पिछले 6 साल से कोई दंगा नहीं हुआ.
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