ग्वालियर जिले के नगर निगम में बड़े घोटाले की खबर है. यह कथित घोटाला नगर निगम के पीएचई विभाग में हुआ है. यहां 71 फर्जी खातों में वेतन-एरियर के 16 करोड़ 42 लाख रुपये का भुगतान किया गया. हैरान करने वाला यह घोटाला उस वक्त उजागर हुआ जब स्टेट सर्विलांस टीम ने खातों की जांच की. इस जांच के बाद प्रशासनिक अधिकारियों के बीच हड़कंप मच गया. अब भोपाल वित्त विभाग ने इस कथित घोटाले की जांच के आदेश दिए हैं. यह जांच संयुक्त संचालक वित्त की देखरेख में होगी. इसके लिए पांच सदस्यों की टीम गठित की गई है.
जानकारी के मुताबिक, घोटाले की बात सामने आने के बाद ग्वालियर मंडल के अधीक्षण यंत्री ने भी जांच के लिए 5 सदस्यों की टीम गठित कर दी है. यह टीम भी अब जांच कर रही है. 16 करोड़ 42 लाख रुपये की यह गड़बड़ी पीएचई के कार्यपालन यंत्री मेंटेनेंस खंड क्रमांक-1 दफ्तर में हुई है. कार्यालय के स्टाफ ने कर्मचारियों के खातों से छेड़छाड़ की. इन खातों के नंबर कई बार बदले गए. स्टाफ ने अपात्रों के खाते खोल लिए और रुपए निकाल लिए. स्टाफ सैलरी अकाउंट से भी रुपये निकाले गए. इसके अलावा कार्यालय स्टाफ ने सामान खरीदी के बिल बनवाकर भी हेराफेरी की.
यह गड़बड़ी सामने आने के बाद कोष एवं लेखा विभाग के आयुक्त के निर्देश पर संयुक्त संचालक अशोक श्रीवास की टीम इस मामले की जांच में जुट गई है. चार अधिकारियों की टीम ने बीते 3 दिन की जांच में कई गड़बड़ियां पाई हैं. अब इस मामले में लगभग एक सप्ताह में पूरी रिपोर्ट सामने आ जाएगी. पीएचई विभाग के मुख्य अभियंता आरएलएस मौर्य ने इस घोटाले के बाद सभी कार्यपालन यंत्रीयों को निर्देश जारी किया है. सभी कार्यपालन यंत्रीयों को पिछले 5 साल में किए गए भुगतान की जांच के आदेश दिए हैं.
एक सप्ताह के अंदर इन्हें अपने सभी भुगतान की जांच कर प्रमाण पत्र पेश करने के आदेश दिए गए हैं. सभी कार्यपालन यंत्री पिछले 5 साल के भुगतान का ऑडिट करेंगे और फिर यह प्रमाण पत्र पेश करेंगे कि भुगतान सही हुआ या फिर गड़बड़ियां पाई गई है. भुगतान में गड़बड़ी या मिलने के बाद विभाग द्वारा कलेक्टर और कोष अधिकारियों को जानकारी दी जाएगी. इसके बाद उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी. साथ ही इनके खिलाफ अनुशासनात्मक और विभागीय जांच की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
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