विधानसभा चुनाव लड़ने की उम्र (Assembly Election Age) को लेकर बड़ी खबर है. एक संसदीय पैनल ने शुक्रवार को विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम आयु में बदलाव की सिफारिश की है. संसदीय पैनल के अनुसार विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम आयु 25 साल से घटाकर 18 साल की जा सकती है. इसके पीछे संसदीय पैनल ने तर्क दिया कि इससे नीतिगत बहस के लिए नज़रिया बढ़ेगा और राजनीतिक प्रक्रिया पर भरोसा कायम होगा.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता में राज्यसभा में कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति ने चुनाव प्रक्रिया के पहलुओं और उनके सुधार पर अपनी रिपोर्ट पेश की. रिपोर्ट में कहा गया है कि मिति ने पाया है कि चुनाव में उम्मीदवारी के लिए ज़रूरी उम्र कम करने से लोकतंत्र में युवाओं को शामिल होने के समान अवसर मिल सकेंगे. इस नजरिये के पीछे युवाओं में बढ़ती राजनीतिक चेतना, और युवा प्रतिनिधित्व के लाभ, वैश्विक स्तर पर चल रहे चलन जैसे व्यापक बातों को आधार बनाया गया है.
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि राजनीतिक दलों ने अतीत में सार्वजनिक पदों के लिए अनुभवी उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी थी. जबकि अनुभव की कमी के कारण युवा उम्मीदवारों को खारिज कर दिया था. समिति ने कहा कि ‘यह विश्वास बताता है कि राजनीतिक क्षमता उम्र के साथ आती है, एक ऐसी धारणा जिसके बारे में प्लेटो ने दो हजार साल पहले तर्क दिया था.’ हालांकि 21वीं सदी में यह मान्यता तेजी से पुरानी होती जा रही है, शिक्षा, वैश्वीकरण, डिजिटलीकरण में बढ़ावे की बदौलत सभी देशों में युवा कार्यालयों को चलाने में सक्षम होते जा रहे हैं.
समिति ने कहा कि यह चिंताजनक है कि PRS लेजिस्लेटिव रिसर्च के अनुसार, 2019 में 47% सांसद 55 वर्ष से अधिक आयु के थे. जबकि भारत की औसत आयु 27.9 वर्ष थी. हालांकि, चुनाव आयोग न्यूनतम आयु में बदलाव की जरूरत से सहमत नहीं थी. समिति को अपने इनपुट में, पोल पैनल ने कहा कि उसने इस मुद्दे पर विचार किया है और 18 साल के बच्चों से ‘इन जिम्मेदारियों के लिए जरूरी अनुभव और परिपक्वता रखने’ की उम्मीद करना अवास्तविक पाया है. वहीं समीति का कहना है कि सर्वेक्षणों से पता चलता है कि वैश्विक स्तर पर युवाओं में राजनीतिक को लेकर खासी जागरूकता और जरूरी ज्ञान है.
समिति ने अपने चुनाव के लिए उम्र के कम किए जाने सहित दूसरी जगह पर रहने वालों के लिए दूरस्थ मतदान का चुनाव आयोग को प्रस्ताव, आम मतदाता सूची जैसे कई विषयों पर राष्ट्रीय राजनीतिक दलों से टिप्पणियां मांगी थी. केवल आम आदमी पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का जवाब प्राप्त हुआ था. अपनी प्रतिक्रिया में AAP ने कहा कि आम मतदाता सूची से प्रयास और धन की बचत होगी, लेकिन चुनाव आयोग की सूची को अपनाने के लिए राज्य चुनाव आयोगों पर ‘पूर्ण दायित्व’ नहीं होना चाहिए.
वहीं चुनाव आयोग के रिमोट वोटिंग प्रस्ताव पर आप ने कहा कि देश में प्रवासी आबादी का कोई अध्ययन नहीं किया गया है और इस स्तर पर प्रस्ताव में कई खामियां हैं. जहां तक उम्मीदवारी की न्यूनतम उम्र का सवाल आता है, पार्टी ने उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम आयु कम करने का समर्थन किया, उन्होंने अपने सुझाव में लोकसभा के लिए 21 या 18 और राज्यसभा के लिए 25 साल करने सुझाव दिया. इसके साथ ही CPM ने भी समीति के सामने अपने प्रस्ताव में उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम आयु कम करने का समर्थन किया.
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