एनडीए की बैठक में लोक जनशक्ति रामविलास के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, केन्द्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस का एक दूसरे से मिलना चर्चा का विषय बना हुआ है. चाचा भतीजा की जोड़ी अलग हो चुकी है. लगभग 2 साल पहले पशुपति पारस ने चिराग पासवान को छोड़कर बाकी सांसदों के साथ अलग होने का फैसला किया. तब से दोनों की राहें जुदा हो गई हैं. दोनों एक दूसरे पर गाहे-बगाहे निशाना भी साधते हैं. लेकिन, कल (18 जुलाई) एनडीए की बैठक में चाचा भतीजा का गले मिलना चर्चा का विषय बना हुआ है. इसके साथ ही सवाल उठते हैं कि क्या चाचा पारस और भतीजे चिराग के बीच की दूरी मिट जाएगी? क्या पासवान परिवार एक हो जाएगा? क्या दोनों पार्टी फिर से एक हो जाएगी?
दोनों ने गले मिलने के सवाल पर एक दूसरे को परिवार का सदस्य बताया, लेकिन दोनों के तेवर देखकर फिलहाल ऐसा कहना मुश्किल लग रहा है कि दोनों फिर एक साथ पहले की तरह आ पाएंगे. क्योंकि एनडीए में शामिल होने के तुरंत बाद चिराग पासवान ने साफ कर दिया कि हाजीपुर से वही चुनाव मैदान में उतरेंगे. चिराग पासवान ने कहा कि एलजेपी रामविलास का ही उम्मीदवार हाजीपुर सीट से लोकसभा चुनाव में एनडीए की तरफ से मैदान में उतरेगा.
दूसरी तरफ पशुपति कुमार पारस की तरफ से कहा जा रहा है कि, वह हाजीपुर से सीटिंग सांसद हैं और उनके नेता स्वर्गीय रामविलास पासवान ने 2019 में हाजीपुर सीट के लिए उन्हें चुना था, किसी और को नहीं. ऐसे में उनका राजनीतिक उत्तराधिकारी मैं हूं और मरते दम तक हाजीपुर नहीं छोडूंगा. स्पष्ट है कि दोनों ही नेताओं के बीच में राजनीतिक कड़वाहट खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. लेकिन, अब सवाल है कि क्या अब परिवार के बीच दूरियां मिटेंगी?
सूत्र बताते हैं पशुपति कुमार पारस और चिराग पासवान दोनों राजनीतिक तौर पर और पारिवारिक तौर पर इस तरह अलग हो चुके हैं कि एक दूसरे से मिलना संभव नहीं दिखता. केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने न्यूज 18 से बात करते हुए साफ कर दिया कि चिराग पासवान परिवार के सदस्य हैं. दूसरी तरफ चिराग पासवान ने भी चाचा को परिवार का सदस्य बताया, लेकिन एक साथ होने के सवाल पर पशुपति पारस ने कहा कि दल टूटता है तो मिल जाता है, लेकिन दिल टूटता है तो नहीं मिलता है. चिराग पासवान ने हम लोगों के दिल को तोड़ा है.
पारस कहते हैं चिराग पासवान जमुई से सांसद हैं चुनाव में उन्हें वहां से उतरना चाहिए. वह जमुई की जनता से विश्वासघात क्यों कर रहे हैं? दूसरी तरफ चिराग पासवान इस बात पर अड़े हुए हैं कि हाजीपुर उनके पिताजी की परंपरागत सीट है लिहाजा उन्हीं का अधिकार वहां से है. ऐसे में भले ही सार्वजनिक मंच पर चाचा ने भतीजे को गले लगाया हो, लेकिन दोनों के बीच कड़वाहट खत्म होती नहीं दिख रही है. ऐसे में दोनों दल एक साथ फिर आएंगे इसकी उम्मीद कम नजर आ रही है, भले ही दोनों एनडीए गठबन्धन का हिस्सा बन गए हों. वहीं, लोकसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे और ऐलान के वक्त हाजीपुर सीट को लेकर खींचतान देखने को मिल सकती है.
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