विधायकों और पार्टी नेताओं को एडजस्ट करने के लिए सरकार में राजनीतिक नियुक्तियां (Political Appointment) तो की ही जाती हैं. ऐसे में करीब डेढ़ साल पहले फिर आए सियासी संकट में 6 विधायकों को सीएम का राजनीतिक सलाहकार भी बनाया गया था. विधायकों को सत्ता के लिए साधते वक्त कहा गया कि इनको कार्यालय, गाड़ी आदि की सुविधा मिलेगी और राज्य मंत्री का दर्जा दिया जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.
यहां तक कि मुख्यमंत्री को ‘कीमती सलाह’ देने के लिए इनकी अब तक कोई औपचारिक बैठक भी नहीं हुई है. जबकि इस दौरान सरकार पर 25 सितंबर को हाईकमान के फरमान से गहलोत सरकार पर संकट गहरा गया था.
राजस्थान में सरकार बनने के बाद से ही सीएम गहलोत और सचिन पायलट के बीच सत्ता को लेकर टकराव शुरू हो गया था. कई बार हालात सरकार पर संकट के भी बने. इसी के चलते सरकार ने कुछ विधायकों को साधने की रणनीति बनाई. विधायकों को सत्ता के पाले में ही एडजस्ट करने के लिए करीब डेढ़ साल पहले सीएम अशोक गहलोत ने 6 विधायकों को सलाहकार नियुक्त किया. इनमें सीएम के खास और पूर्व मंत्री बाबूलाल नागर, संयम लोढ़ा और रामकेश मीणा को एडवाइजर बनाया गया. ये तीनों निर्दलीय विधायक हैं. इनके अलावा कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते राजकुमार शर्मा, दानिश अबरार और डॉ. जितेंद्र सिंह को भी सीएम का सलाहकार नियुक्त किया गया.
इनकी नियुक्ति के समय कहा गया कि इन सलाहकारों को राज्य मंत्री का दर्जा दिया जाएगा. इनके लिए अलग कार्यालय, गाड़ी आदि की सुविधाएं भी दी जाएंगी, लेकिन ऐसा कुछ हो नहीं पाया. कुछ को सरकार ने बंगला या सुरक्षा मुहैया कराई है, लेकिन ये सुविधाएं सलाहकार के तौर पर नहीं हैं. डेढ़ साल में इनकी सिर्फ एक बैठक हो पाई है. वह भी सिर्फ औपचारिक परिचय तक सीमित रही. उसके बाद अब तक कोई किसी रणनीति, सुझाव-सलाह या प्लानिंग के लिए बैठक नहीं हुई है. वैसे सलाहकार ये दावा करते हैं कि जब भी मुख्यमंत्री गहलोत से मिलते हैं तो वे अपनी कीमती सलाह दे देते हैं.
सिरोही से निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा के मुताबिक केवल एक औपचारिक मीटिंग हुई, फिर कोई मीटिंग नहीं हुई. दावे के मुताबिक ऑफिस और गाड़ी की सुविधा भी नहीं मिली है.वैसे व्यक्तिगत मुलाकातों में सलाह तो देते ही रहते हैं. यह अलग बात है कि उनकी सलाह पर विधानसभा में अध्यक्ष नाराज हो गए और यहां तक कह दिया कि मैं आपको पहले भी निकाल चुका हूं, फिर निकाल दूंगा. दरअसल, लोढ़ा स्थानीय युवाओं को भर्तियों में प्राथमिकता देने से जुड़े सवाल पर प्रश्नकाल के दौरान मंजूरी के बिना ही बोलने लगे तो अध्यक्ष जोशी नाराज हो गए. लोढ़ा ने कहा कि मंत्री पिछले पांच साल से सिर्फ बातें ही कर रहे हैं. किया कुछ नहीं है. इस पर जोशी ने लोढ़ा को बैठने को कहा, लेकिन वे बोलते रहे. तब जोशी ने लोढ़ा को सदन से बाहर करने तक की चेतावनी देते हुए कहा कि आप श्रेष्ठ विधायक होते हुए भी गलत परंपरा डाल रहे हैं.
सीएम के सलाहकार डॉ. जितेंद्र सिंह के मुताबिक औपचारिक मीटिंग तो एक ही हुई है, पर अपनी ओपीनियन सीएम को देते रहते हैं. उच्च शिक्षा, डॉक्टर्स की हड़ताल सहित कई मुद्दों पर मैंने राय दी है. गंगापुर सिटी के विधायक रामकेश मीणा भी मानते हैं कि मीटिंग भले ही नहीं हुई, लेकिन हम सलाह देने में कभी पीछे नहीं रहे. गंगापुर सिटी को जिला बनाने, पानी व अन्य मुद्दों पर सलाह दी. सीएम को सलाह अच्छी लगती है तो वे मान भी लेते हैं. नवलगढ़ विधायक डॉ. राजकुमार शर्मा भी मानते हैं कि सलाहकार के रूप में जो सुविधाएं मिलनी चाहिए थीं, वो अब तक नहीं मिल पाईं.
All Rights Reserved & Copyright © 2015 By HP NEWS. Powered by Ui Systems Pvt. Ltd.