सांसारिक जीवन की मोह माया त्यागकर प्रभु की भक्ति करते हुए अंतिम सांस लेने की इच्छा से भीलवाड़ा की 90 वर्षीय प्रेम देवी डांगी ने संथारा का संकल्प लिया। श्रमण संघीय आचार्य श्री शिवमुनि जी म. सा. के आज्ञानुसार जैन धर्म के नियमों के तहत संथारा ग्रहण करने का संकल्प दिलाया। संथारा का संकल्प लेने के साथ ही 16 जुलाई से प्रेम देवी जी डांगी ने अन्न जल का त्याग कर दिया। वे तीर्थंकर परमात्मा की भक्ति में रम गईं हैँ। अब वे जीवन की अंतिम सांस तक अन्न ग्रहण नहीं करेंगी।
संथारा यानी जीते जी मृत्यु को अपना लेने की विधि है। वे साध्वियों के मार्गदर्शन में मंत्रोच्चार करके जीवन के अंतिम एक-एक पल व्यतीत कर रहीं हैं। उनका दर्शन करने परिवार के लोग उनके निवास स्थान K-3 आदित्य विहार पहुंच रहे हैं। श्रमण संघीय आचार्य श्री शिवमुनि जी म. सा. के आज्ञानुसार महिला आश्रम भीलवाड़ा निवासी धमनिष्ट श्राविका श्रीमती प्रेम देवी जी डांगी धर्मपत्नी श्री गजराजसिंह जी डांगी को श्रमण संघीय साध्वीरत्ना श्री इंदुप्रभा जी एवं डॉ.श्री चेतना जी म. सा. के मुखारबिंद से आज दिनांक 16-07-23 रविवार को प्रातः 9.30 बजे तिविहार संथारे का प्रत्याख्यान करवाया गया। वे कुलदीप सिंह जी डांगी एवं स्वर्गीय किरणवीर सिंह की माता एवम सर्वेश एवं सौरभ डांगी की दादी है।
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