बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को एक मिलियन अमेरिकी डॉलर के रूप में टैक्स चुकाने का आदेश दिया है. भारतीय करेंसी में यह राशि 8 करोड़ बैठती है. यूनुस माइक्रोफाइनेंस के क्षेत्र में बिजनेस से जुड़े हैं. उन्होंने अपनी चैरिटेबल ट्रस्ट को 7 मिलियन डॉलर का दान दिया था. इस मामले में शीर्ष अदालत का कहना है कि उन्हें इसपर एक मिलियन डॉलर का टैक्स चुकाना ही होगा. अपने माइक्रो क्रेडिट बैंक के माध्यम से उन्हें गरीबी मिटाने के लिए शानदार काम करने का श्रेय दिया जाता है.
83 साल के मोहम्मद यूनुस की बीते दिनें प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ अनबन हो गई है. प्रधानमंत्री ने यहां तक कह दिया था कि यूनुस गरीबों का खून चूस रहे हैं. यूनुस ग्रामीण बैंक के संस्थापक हैं. इस बैंक के माध्यम से गरीबों के लिए शानदार काम करने के कारण साल 2006 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
यूनुस ने 2011 और 2014 के बीच प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस ट्रस्ट और यूनुस सेंटर को 767 मिलियन टका यानी 7 मिलियन डालर की रकम दान के रूप में दी थी. मोहम्मद यूनुस ट्रस्ट यूनुस परिवार का ही बनाया गया ट्रस्ट है. बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत द्वारा पारित फैसले को बरकरार रखा. शीर्ष अदालत ने कहा कि यूनुस को अपने दान पर टैक्स चुकाना होगा क्योंकि कानून के तहत इन्हें छूट नहीं मिलती है.
शीर्ष अदालत ने कहा कि यूनुस को कुल 150 मिलियन टका यानी 1.4 मिलियन अमेरिकी डॉलर चुकाने हैं. इसमें से 30 मिलियन टका का भुगतान वो पहले ही कर चुके हैं. यूनुस ने 1980 के दशक में ग्रामीण बैंक की स्थापना की थी. अपने काम के माध्यम से यूनुस बांग्लादेश में गरीबी मिटाने की दिशा में शानदार काम करते आ रहे हैं. वो अपने बैंक के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों महिलाओं को माइक्रोफाइनेंस लोन दे चुके हैं.
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