दिल्ली की एयरहोस्टेस गीतिका शर्मा के सुसाइड केस में आरोपी गोपाल कांडा को बरी कर दिया गया है. हरियाणा के पूर्व मंत्री रहे गोपाल कांडा से जुड़े इस मामले में 11 साल बाद फैसला आया है. मंगलवार को दिल्ली की एक अदालत ने उन्हें बरी कर दिया.
कोर्ट ने इस दौरान सुनवाई के दौरान कहा कि गीतिका शर्मा के सुसाइड नोट के आधार पर गोपाल कांडा को दोषी साबित नहीं किया जा सकता. महज सुसाइड नोट में किसी आरोपी के नाम का जिक्र भर होने से किसी को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी नहीं माना जा सकता है.
सुसाइड नोट में गीतिका ने अपने नज़रिए से गोपाल कांडा को खराब इंसान ज़रूर बताया, लेकिन कोई ऐसी घटना का जिक्र नहीं किया, जिससे लगे कि उसके साथ कोई धोखा हुआ या आरोपियों ने उसके साथ विश्वासघात किया.
गीतिका शर्मा की मौत से 7-8 महीने पहले तक गीतिका शर्मा और गोपाल कांडा के बीच टेलीफोन पर कोई बातचीत नहीं हुई थी. गीतिका शर्मा और इस केस में सह आरोपी अरुणा चड्डा के बीच भी एक महीने से भी बातचीत नहीं हुई थी. गीतिका और गोपाल कांडा के बीच दोस्ताना सम्बंध थे. दोनों एक साथ कई जगह घूमने जाया करते थे. गोपाल कांडा ने भी गीतिका को फायदा पहुंचाया, इसलिए पुलिस का ये कहना कि आरोपियों ने ऐसे हालात बनाए कि गीतिका के आत्महत्या के अलावा कोई विकल्प नहीं था, सही नहीं है.
मंगलवार 11 बजे के करीब कोर्ट ने मामले पर फैसला सुनाया और गोपाल कांडा को बरी कर दिया. पूरे मामले पर गीतिका के भाई अंकित ने कहा, “मैं बात करने की स्थिति में नहीं हूं, फिलहाल, मैं सोचूंगा की आगे क्या करना है.” उधर, फैसले के बाद गोपाल कांडा हाथ जोड़ते हुए दिखे. हालांकि, उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. उनके वकील की तरफ से मीडिया के सामने कहा गया कि मेरे क्लाइंट को 11 साल तक ट्रायल झेलना पड़ा. जबकि उन्होंने कुछ नहीं किया था. हमें उम्मीद थी कि कुछ इसी तरह का फैसला आएगा.
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