हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के बीच बीते 63 दिन में काफी ज्यादा नुकसान हुआ है. हालात ऐसे हैं कि सैंकड़ों की संख्या में लोग बेघर हो गए हैं. वहीं, जानमाल का भी खासा नुकसान हुआ है. प्रदेश के कई जिलों में जनजीवन बेपटरी हो गया है. हालात बेहद खराब हैं. सूबे में 63 दिन के भीतर ही 370 लोगों की मौत बारिश की वजह से हुई है. साथ ही 12 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. प्रदेश में मॉनसून सीजन के इतिहास में यह सबसे बड़ी त्रासदी है.
राज्य आपदा प्रबंधन की रिपोर्ट के अनुसार, मॉनसून सीजन में 24 अगस्त शाम छह बजे तक हिमाचल प्रदेश में कुल अब तक 367 लोगों की मौत हुई है. साथ ही 8570 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. हालांकि, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू 12000 हजार करोड़ के नुकसान की बात कह रहे हैं. प्रदेश में सबसे अधिक पीडब्ल्यूडी विभाग को 2800 करोड़ रुपये अधिक का नुकसान हुआ है. साथ ही जल शक्ति विभाग की भी कमर टूट गई है और 2 हजार करोड़ की चपत लगी है.
आपदा प्रबंधन की रिपोर्ट बताती है कि प्रदेश में लैंडस्लाइड, फ्लैश फ्लड, बादल फटने से 136 लोगी मौत हुई है. इसी तरह रोड़ एक्सीडेंट, आगजनी, डूबना, पहाड़ी से गिरना, करंट लगना और सांप के काटने से 231 लोगों की जान गई है. अहम बात यह ह कि अब भी प्रदेश भर में 40 लोग लापता हैं, जिनकी तलाश की जा रही है.
रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि मॉनसून सीजन में कुल 2346 घर पूरी तरह से ध्वस्त हो गए हैं. इसी तरह 10,135 घरों को आशिंक तौर पर नुकसान पहुंचा है. लैंडस्लाइड और फ्लैश फ्लड में 303 दुकानें गिर गई हैं, जबकि 5048 गौशालाएं धराशाई हुई हैं. प्रदेश में कुल 156 लैंडस्लाइड हुए हैं. इसी तरह 63 बार फ्लैश फ्लड हुआ है. सबसे अधिक मौतें 65 शिमला जिले में हुई हैं. फिर कुल्लू में 40 लोगों ने जान गंवाई है. मंडी में 29, कांगड़ा में 18, चंबा में 22, सोलन और सिरमौर में 17-17 लोगों की जान आपदा की वजह से गई है.
हिमाचल प्रदेश में बारिश से सबसे पहले 8 से 11 जुलाई को आफत बरसी थी. यहां पर कुल्लू और मनाली में बादल फटने के बाद ब्यास नदीं में बाढ़ आ गई थी. ब्यास नदी ने कुल्लू से मंडी तक नेशनल हाईवे को पूरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया था. जो कि अब तक खुल नहीं पाया है. डेढ़ महीने बाद भी कुल्लू मनाली में जीवन बेपटरी है. इसी तरह मंडी में भारी बारिश से सराज, परासर, सरकाघाट सहित कई इलोकों में लोग बेघर हो गए हैं. शिमला में हाल ही में 14-15 अगस्त को हुई बारिश से काफी ज्यादा जानमाल का नुकसान हुआ. 550 से अधिक पेड़ धराशाई हो गई. शिमला शहर में कई इमारतें ध्वस्त हुई और कईंयों में दरारें आ चुकी हैं.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि इस बरसात में बाढ़ एवं भू-स्खलन के कारण प्रदेशभर में जान-माल की भारी क्षति हुई है. आपदा में अभी तक 350 से अधिक लोगों की दुःखद मृत्यु हुई है और राज्य को 12000 करोड़ रुपये से अधिक की क्षति का अनुमान है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हर व्यक्ति की भलाई सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है और संकट की इस घड़ी में ज़रूरतमंदों को हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए चौबीसों घंटे अथक प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार के लिए हर जान कीमती है और हर व्यक्ति की सुरक्षा सर्वोपरि है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने मलबा हटाने और बहाली के प्रयासों में तेज़ी लाने के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध करवाया है.
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