मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राजस्थान में वन और वन्यजीव संरक्षण को लेकर सराहनीय फैसले लिए जा रहे हैं। राज्य सरकार की नीतियों से आज प्रदेश में बाघों की संख्या 100 से अधिक हो चुकी है। हमारे प्रयासों से राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा 2022 में जारी की गई समीक्षा रिपोर्ट में रणथम्भौर और सरिस्का टाइगर रिजर्व की रेटिंग बेहतर हुई है।
सीएम ने कहा राज्य के कुल 29 कंजर्वेशन रिजर्व में से 16 वर्तमान सरकार के कार्यकाल में बनाए गए हैं। गहलोत शनिवार को मुख्यमंत्री निवास पर राज्य वन्यजीव मंडल की 14वीं बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी ने वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट, प्रोजेक्ट टाईगर आदि के माध्यम से देश में पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहन दिया। प्रोजेक्ट टाईगर में जोधपुर के कैलाश सांखला को पहला प्रोजेक्ट निदेशक नियुक्त किया गया।
पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी ने इस दिशा में एन्वायरमेंटल प्रोटेक्शन एक्ट, गंगा एक्शन प्लान एवं वेस्टलैण्ड डवलपमेंट बोर्ड जैसे नवाचार किए। पूर्ववर्ती केन्द्र सरकार नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एक्ट लेकर आई। इसी क्रम में हमारी सरकार भी राज्य के वन और वन्य जीवों को संरक्षित करने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि पहली बार इसके लिए बजट में पर्याप्त प्रावधान किया गया है। राज्य के 6 टाईगर रिजर्व में से 3 वर्तमान सरकार के कार्यकाल में बनाए गए हैं।
सीएम ने बताया कि प्रदेश में 10 हजार हेक्टेयर से अधिक का ग्रासलैण्ड विकसित किया जा रहा है। विभिन्न टाइगर रिजर्व से 741 परिवारों का पुनर्वास किया गया है, जिससे मैन-वाइल्ड टकराव में कमी आई है। प्रोजेक्ट गोडावण के तहत इन्क्यूबेशन सेंटर में आर्टिफिशियल हेचिंग से गोडावण के अंडों से निकले बच्चों की दूसरी पीढ़ी के बच्चे भी हो चुके हैं।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड का नाम अमृता देवी के नाम से करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि अमृता देवी का बलिदान सभी को पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा देता है। साथ ही गहलोत ने कहा कि प्रदेश में शेरों को लाने के लिए केन्द्र सरकार को चिट्ठी लिखी जाएगी। बैठक में बताया गया कि प्रदेश में सोलर पंप लगाकर वनों में पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था, वन्यजीवों के लिए कॉरिडोर्स के निर्माण, 18 नए संरक्षित क्षेत्रों का गठन, विशेष बाघ संरक्षण बल की स्थापना जैसे निर्णय लिए गए हैं।
2018 की तुलना में संरक्षित क्षेत्रों का क्षेत्रफल 11243 वर्ग किमी से बढ़कर 13595 वर्ग किमी हो गया है। बैठक में बताया गया कि मुकुन्दरा, सरिस्का और रणथम्भौर टाइगर रिजर्व के कोर और बफर एरिया के एक्सटेंशन के लिए नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) से स्वीकृतियां प्राप्त हो गई हैं। साथ ही कुम्भलगढ़ टाइगर रिजर्व के लिए सैद्धांतिक स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है।
वन मंत्री हेमाराम चौधरी ने कहा कि वन्यजीव संरक्षण में राज्य में एतिहासिक काम हुआ है। राज्य सरकार द्वारा उचित बजट के आवंटन से घोषणाएं धरातल पर उतरी हैं। वन और पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव शिखर अग्रवाल ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में राज्य सरकार ने 53 वेटलैण्ड नोटिफाई किए गए हैं। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (हॉफ) मुनेश कुमार गर्ग ने कहा कि वन विभाग ने पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। वन विभाग को आवंटित बजट में अभूतपूर्व बढोतरी की गई है, जिससे ग्रासलैण्ड, वेटलैण्ड इत्यादि नवीन क्षेत्रों में काम किया जा रहा है।
मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक अरिंदम तोमर ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न अभ्यारण्यों में फिजिबलिटी एनालिसिस करके विभिन्न प्रजातियों का ट्रांसलोकेशन किया जा रहा है। अनुभवी पशु चिकित्सकों द्वारा इनकी पॉपुलेशन ग्रोथ की मॉनिटरिंग की जा रही है। भेडियों के संरक्षण-प्रजनन में राज्य देश में अग्रणी है। बैठक में विधायक खुशवीर सिंह जोजावर और किशनाराम विश्नोई, विभिन्न संरक्षणविद्, पारिस्थितिकी विज्ञानी और पर्यावरणविद वीसी और अन्य माध्यम से जुडे़।
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