इन दिनों बिहार के मधुबनी जिले में भी मृत्युभोज के आयोजन को लोग कम करने लगे हैं. अलबत्ता मृत्युभोज पर होने वाले अनुमानित खर्च को लोग सामाजिक कार्यों में खर्च करने लगे हैं. इस बीच मधुबनी जिले के कलुआही प्रखंड के नरार पंचायत के वार्ड-दो में भी ऐसा ही एक मामला देखने को मिला है. यहां एक पुत्र ने पिता के निधन के बाद मृत्युभोज के नाम पर लाखों रुपये खर्च करने के बजाए उससे गांव में अधूरे पड़े पुल का निर्माण पूरा कराया. अब इसकी सराहना हर ओर हो रही है.
दरअसल, इस गांव और किसानों की खेतों को जोड़ने वाली सड़क पर पुल नहीं था. इससे कमला नदी में बाढ़ आने के बाद बारिश के समय गांव के लोगों को बहुत परेशानी होती थी. परेशान ग्रामीणों ने पुल बनवाने को लेकर मुखिया को भी आवेदन दिया, लेकिन पुल नहीं बन सका. इसी दौरान गांव के रिटायर शिक्षक महादेव झा ने ग्रामीणों की परेशानी को दूर करने का बीड़ा उठाया. उन्होंने इस गांव और किसानों की खेत को जोड़ने के लिए खुद ही पुल निर्माण शुरू कर दिया, लेकिन वर्ष 2020 में उनका निधन हो गया. इससे पुल निर्माण का काम अधूरा रह गया.
महादेव झा की मौत के बाद कुछ वर्ष तक लोगों की परेशानी यूं ही बनी रही. इस बीच उनके निधन के बाद उनके पुत्र सुधीर झा ने इस अधूरे सपने को पूरा करने का बीड़ा उठाया. पिता के श्राद्ध भोज और कर्मकांड पर लाखों रुपये खर्च करने बजाए 5 लाख रुपये से अधूरे पुल का निर्माण कराया. गांव के लोगों का मानना है कि सुधीर झा ने अपने पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी. उन्होंने इस पुल के लिए पांच लाख रुपये खर्च कर दिए. आज इस पुल से रोजाना कई गांव के लोग आते-जाते हैं.
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