रोडवेज बस स्टैंड पर सेवरे जोधपुर - इन्दोर रोडवेज बस के परिचालक ने बस में बैठे पैसेंजर के साथ अमानवीय व्यवहार की सारी हदें पार कर दी इतना ही नही उस पैसेंजर को बाहर से टिकिट लाने का दबाव बनाया गया जबकि बस में बैठने तक कि जगह नही थी ओवरलोड बस में पैसेंजर पर बाहर से टिकिट लाने का प्रेशर सही नही होता है उसके बाद भी कन्डेक्टर ने बस में बैठे यात्रियों को दरकिनार करते हुए जमकर माहौल बनाया साथ ही ज़िद पर अड़ गया कि जब तक यात्री परिचालक की सीट कि बग़ल वाली सीट से उठ नहीं जाता वह बस को आगे नहीं बढ़ाएगा और बस को वही खड़ा कर दिया जब तक उस सीट पर बैठे हुए पैसेंजर को बस से उतार नही दिया ऐसे में यात्री ने मौके की स्थिति को देखकर बस से उतरना ज़रूरी समझा और यह जानते हुए भी की उसे टिकिट नहीं मिलेगा क्यूकी बस ओवरलोड थी फिर भी यात्री रिस्क ले बस से उतर गया । बात का स्पष्टीकरण यहां नहीं हो पाता जहां टिकिट लेने बावजूद भी बस में सीट नही मिलती है। रोडवेज के कंडक्टर ने हद पार करने की सीमा तब लांघ दी जब यात्री जैसे ही बस से टिकट लेने के लिए उतरा कन्डेक्टर ने गाड़ी रवाना कर दी इस पर यात्री वापस बस की तरफ भागा लेकिन कन्डेक्टर ने सीट किसी ओर को दे दी उस यात्री को फाटक पर खड़े होकर मजबूरन सफर करना पड़ा रोडवेज बस में रोडवेज कर्मी क्षमता से अधिक सवारियों को भरकर ले जाते है इसके बावजूद कई बार फ्लाइंग की गाड़ियां इन्हें रोकती भी है लेकिन मिलिभगती के कारण इन पर कोई ठोस कार्यवाही नही करती फ्लाइंग सबकुछ देखकर भी अनदेखा कर देती है जिससे ओवरलोड बसें किसी हादसे को न्योता देकर बस में सवार सवारियों की जान को जोखिम में डाल रही है ।
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