सीएम अशोक गहलोत के वकीलों और ज्यूडिशियरी को लेकर दिए गए विवादित बयान पर वकीलों का गुस्सा फूट पड़ा है। राजस्थान हाईकोर्ट में एडवोकेट शिवचरण गुप्ता ने इस मामले में जनहित याचिका दायर कर दी है, जिससे सीएम की मुसीबत बढ़ गई है।
हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले एडवोकेट शिवचरण गुप्ता ने कहा है कि सीएम का बयान न्यायपालिका को शर्मसार करने वाला है। यह न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को धूमिल करता है। गहलोत का यह बयान न्यायपालिका की अवमानना की परिभाषा की श्रेणी में आता है। इसलिए हाईकोर्ट संविधान के अनुच्छेद 215 के तहत इस मामले में प्रसंज्ञान लेकर अवमानना करने वाले को दंडित करें। उन्होंने कोर्ट से मामले में जल्दी सुनवाई करने का भी आग्रह किया है। संभवतः हाईकोर्ट अगले सप्ताह इस मामले पर सुनवाई करेगा।
बार काउंसिल ऑफ राजस्थान के पूर्व उपाध्यक्ष और बीजेपी नेता योगेंद्र सिंह तंवर ने भी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर सीएम के खिलाफ प्रसंज्ञान लेने का आग्रह किया है। अपने पत्र में उन्होंने कहा यह अपमानजक जनक टिप्पणियां न केवल हाईकोर्ट की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचती हैं, बल्कि कानूनी प्रणाली के सुचारू काम काज में भी बाधा पहुंचाती है। इसलिए मुख्य न्यायाधीश इस शिकायत को आपराधिक प्रकरण के रूप में दर्ज करते हुए इस मामले में प्रसंज्ञान ले।
सीएम अशोक गहलोत के उस बयान पर वकीलों ने हाईकोर्ट परिसर में गहलोत का पुतला फूंका, जिसमें उन्होंने कहा था कि मैंने सुना है कुछ वकील तो जजमेंट लिखकर ले लाते हैं और वही फैसला आता है। ज्यूडिशियरी के अंदर यह क्या हो रहा है? चाहे लोअर ज्यूडिशरी हो या अपर ज्यूडिशरी। हालात गंभीर हैं, देशवासियों को सोचना चाहिए।
सीएम गहलोत ने यह भी कहा कि भाजपा विधायक कैलाश मेघवाल ने केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल पर जो आरोप लगाए हैं, वो सही हैं। मुझे मालूम पड़ा है कि उनके वक्त बहुत बड़ा करप्शन हुआ था। उसे दबा दिया गया है। इन लोगों ने हाईकोर्ट से स्टे ले रखा है।
राजस्थान हाई कोर्ट में वकीलों में सीएम गहलोत का पुतला फूंककर मांग रखी है कि सीएम गहलोत तुरंत अपने बयान पर सार्वजनिक रूप से माफी मांगें। सीएम गहलोत का पुतला जलाए जाने पर हाईकोर्ट के सुरक्षा इंचार्ज ने पुलिस बल भी तैनात कर दिया।
सीएम अशोक गहलोत ने विवाद होने लर अब अपने बयान पर स्पष्टीकरण देते हुए ट्वीट किया कि कल मैंने ज्यूडिशियरी के करप्शन को लेकर जो कहा वो मेरी निजी राय नहीं है। मैंने हमेशा ज्यूडिशियरी का सम्मान और उस पर विश्वास किया है। समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट के अनेक रिटायर्ड न्यायाधीशों और रिटायर्ड मुख्य न्यायाधीशों तक ने ज्यूडिशियरी में भ्रष्टाचार पर टिप्पणयां की हैं और उस पर चिंता व्यक्त की है। मेरा न्यायपालिका पर इतना विश्वास है कि मुख्यमंत्री के रूप में जजों की नियुक्ति के लिए हाईकोर्ट कॉलेजियम के जो नाम हमारे पास टिप्पणी के लिए आते हैं, मैंने उन पर भी कभी कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की है। मेरा स्पष्ट मानना है कि हर नागरिक को न्यायपालिका का सम्मान करना चाहिए और ज्यूडिशियरी पर विश्वास करना चाहिए। इससे लोकतंत्र मजबूत होगा।
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