Download App Now Register Now

'अनुच्छेद-370 के भूत को दफनाने का समय आ गया है', जब SC में वरिष्ठ वकील ने रखे दमदा

अनुच्छेद-370 से जुड़ी याचिकाओं पर शुक्रवार को 14वें दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) की अध्‍यक्षता में 5 जजों की संविधान पीठ इस मुद्दे पर दायर याचिकाओं को सुन रही है. इस संविधान पीठ में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत भी शामिल हैं. वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाना क्यों जायज था, इसके पक्ष में दलीलें पेश कीं.

उन्होंने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर के कुछ राजनीतिक दल, जो लंबे समय से लोकतंत्र के प्रति समर्पित हैं, उन्होंने अनुच्छेद-370 को बरकरार रखने के लिए तर्क दिया है. याचिकाकर्ताओं की दलीलें इस आधार पर हैं कि महाराजा हरि सिंह एक सर्वोपरि शक्ति थे और उन्होंने तीन मामलों में ही भारत को जम्मू-कश्मीर की सीमित संप्रभुता सौंप थी.’

राकेश द्विवेदी ने आगे कहा, ‘यदि याचिकाकर्ता आंतरिक या अवशेष संप्रभुता को मामलों पर पूर्ण विधायी शक्ति के रूप में संदर्भित करते हैं, जो कि जम्मू-कश्मीर के मामले में कुछ हद तक बड़ा हो सकता है, तो यह अंबेडकर के विवरण के अनुरूप है. लेकिन, अगर उनका मतलब सर्वोपरि संप्रभु महाराजा से उत्पन्न अवशेष संप्रभुता है, तो यह गलत है.’

उन्होंने कहा, ‘जिस क्षण जम्मू-कश्मीर रियासत के शासक ने IoA (Instrument of Accession) पर हस्ताक्षर किए, वह पूरी तरह से भारत में एकीकृत हो गया और शासक से संप्रभुता का हर प्रकार छिन गया. राजा दिवंगत हो चुके हैं. याचिकाकर्ता राजा लंबे समय तक जीवित रहें’ की तर्ज पर वकालत करके राजशाही की निरंतरता में विश्वास करते प्रतीत होते हैं. भारतीय संविधान जम्मू-कश्मीर संविधान के निर्माण के लिए मार्गदर्शक कारक था, जो हमेशा पूर्व (भारतीय संविधान) के अधीन रहा.’

वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा, ‘अनुच्छेद-370 के तहत राष्ट्रपति को कई आदेशों के माध्यम से भारत के संविधान के प्रावधानों को जम्मू-कश्मीर तक विस्तारित करने की शक्ति दी गई थी, जिसके लिए सहमति 1957 से हमेशा विधानसभा या जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा आसानी से दी जाती रही है.’

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, ‘अनुच्छेद-370 को हमेशा एक अस्थायी प्रावधान माना जाता था. डॉ. अंबेडकर, एन गोपालस्वामी अय्यंगार (संविधान सभा में), जवाहरलाल नेहरू और गुलज़ारीलाल नंदा (संसद में) के भाषणों से स्पष्ट रूप से संकेत मिलता है कि अन्य राज्यों के बराबर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण रूप से आत्मसात करने की परिकल्पना शुरुआत से ही की गई थी. इसलिए, अनुच्छेद-370 का उल्लेख भारतीय संविधान में अस्थायी और संक्रमणकालीन प्रावधान के रूप में किया गया था.’ उन्होंने कहा कि अनुच्छेद-370 के भूत को दफनाने का समय आ गया है, जो दशकों से निष्क्रिय हो गया है.

Written By

DESK HP NEWS

Hp News

Related News

All Rights Reserved & Copyright © 2015 By HP NEWS. Powered by Ui Systems Pvt. Ltd.

BREAKING NEWS
डोटासरा बोले-विधानसभा स्पीकर फाइल को घूमा रहे:कंवरलाल मीणा पर नहीं हो रहा फैसला, राहुल गांधी की सदस्यता 24 घंटे में गई थी | एमपी के मंत्री को बर्खास्त करने की मांग: कोटा में कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन | ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान से बमबारी:LoC के गांव खाली, बंकरों में छिपे लोग; बोले- हमारे घर तबाह हुए, लेकिन सबक सिखाया | पाकिस्तान की ओर से सीजफायर उल्लंघन: जम्मू-कश्मीर में रातभर भारी गोलीबारी, चार की मौत, 16 घायल | एयर स्ट्राइक के बाद राजस्थान में हाई-अलर्ट, 2 एयरपोर्ट बंद:जयपुर से भी 4 फ्लाइट्स रद्द; बीकानेर-बाड़मेर में स्कूल बंद, एग्जाम कैंसिल | Rajasthan: SMS अस्पताल में मरीज पर गिरा प्लास्टर, CM भजनलाल शर्मा ने अफसरों की लगाई क्लास, दोषियों पर त्वरित कार्रवाई | Rajasthan: 'महेश जोशी ने अकेले नहीं खाया, गहलोत भी थे हिस्सेदार', लाल डायरी वाले गुढ़ा का बड़ा दावा | जयपुर-जोधपुर इंटरसिटी एक्सप्रेस के इंजन में लगी आग, यात्रियों में मची अफरा-तफरी, एक घंटे तक रुकी रही ट्रेन | अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा: 2 बच्चों के माता-पिता ने सालों बाद की शादी, 10 लाख की योजना में घोटाले का खुलासा | भारत-फ्रांस के बीच 63,000 करोड़ रुपए में राफेल मरीन विमान डील, 26 विमान होंगे नेवी में शामिल |