भारत इस साल जी20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहा है. 8 से 10 सितंबर तक आयोजित होने वाले शिखर सम्मेलन में जी20 देशों के राष्ट्राध्यक्ष, प्रमुखों के अलावा ग्लोबल साउथ के प्रतिनिधि भी नई दिल्ली आ रहे हैं. इस जी20 शिखर सम्मेलन के आयोजन से पहले भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहला सबसे बड़ा डिजिटल एक्सक्लूसिव इंटरव्यू moneycontrol.com को दिया और कई बड़े तथ्यों को देश और दुनिया के समक्ष पेश किया है. भारत जी20 की अध्यक्षता करके कम आय और मध्यम आय वाले देशों में ऋण संकट से उत्पन्न वैश्विक चुनौतियों से निपटने पर खासा बल दे रहा है.
पीएम मोदी ने अपने इंटरव्यू के दौरान गरीब देशों को ऋण संकट से उबारने को लेकर जी20 देशों के किए गए प्रयासों पर पूछे सवाल का जवाब देते हुए कहा कि भारत 2023 में जी20 समिट की अध्यक्षता कर रहा है. भारत ने कम आय और मध्यम आय वाले देशों में ऋण संकट से पैदा हुईं वैश्विक चुनौतियों से निपटने पर बहुत जोर दिया है.
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि हम इस संकट में ग्लोबल साउथ के हितों की पूरी लगन से वकालत कर रहे हैं. हम ऋण-संकटग्रस्त देशों के लिए समन्वित ऋण समाधान की सुविधा के लिए बहुपक्षीय समन्वय को मजबूत करने पर काम कर रहे हैं.
जी20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की बैठक में यह स्वीकार किया गया कि कॉमन फ्रेमवर्क के तहत और कॉमन फ्रेमवर्क के बाहर दोनों देशों के ऋण समाधान में अच्छी प्रोग्रेस हुई है. इसके अतिरिक्त, ऋण पुनर्गठन प्रयासों में तेजी लाने के लिए भी प्रयास किए गए हैं. उन्होंने बताया कि वैश्विक संप्रभु ऋण गोलमेज सम्मेलन (GSDR), आईएमएफ, विश्व बैंक और प्रेसीडेंसी की एक संयुक्त पहल इस साल की शुरुआत में शुरू की गई थी. यह संचार को मजबूत करेगा और प्रभावी ऋण उपचार की सुविधा के लिए कॉमन फ्रेमवर्क के भीतर और बाहर दोनों प्रमुख हितधारकों के बीच एक आम समझ को बढ़ावा देगा.
हालांकि, इन सभी संस्थागत तंत्रों से परे एक बड़ा आंदोलन हो रहा है. इस सूचना युग में, एक देश में ऋण संकट की खबरें कई अन्य देशों तक पहुंच रही हैं. लोग हालातों का विश्लेषण कर रहे हैं और जागरूकता भी फैल रही है. यह अन्य देशों के लिए लोगों के समर्थन से अपने देश में इसी तरह के हालात पैदा होने से बचाने के लिए एहतियाती कदम उठाने में मददगार है.
पीएम मोदी ने भारत के आर्थिक हालातों और नीतियों को लेकर भी बड़ी बात कही है. उन्होंने कहा कि अपने देश में भी कई मंचों पर आर्थिक रूप से गैर-जिम्मेदाराना नीतियों के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता है. ऐसी नीतियों के दीर्घकालिक प्रभाव न केवल अर्थव्यवस्था बल्कि समाज को भी खत्म कर देते हैं. गरीबों को भारी कीमत चुकानी पड़ती है. लेकिन अच्छी बात यह है कि लोग समस्या के प्रति तेजी से जागरूक हो रहे हैं.
All Rights Reserved & Copyright © 2015 By HP NEWS. Powered by Ui Systems Pvt. Ltd.