लोकसभा की बड़ी लड़ाई लड़ने के लिए दिल्ली और राजस्थान से मुख्यमंत्रियों के बीच सियासी खिचड़ी पक रही लगती है. इसके तहत विधानसभा चुनाव में आप संयोजक केजरीवाल कांग्रेस के लिए ‘स्लीपिंग पार्टनर’ की भूमिका निभा सकते हैं और बदले में कांग्रेस अलगे साल आप के प्रत्याशियों का सहयोग करे. इसके संकेत केजरीवाल और सीएम भगवंत मान के राजस्थान में भाषण से मिले, जिसमें दोनों ने गहलोत सरकार के खिलाफ कुछ नहीं बोला, पर पीएम मोदी और बीजेपी पर निशाना साधते रहे.
केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ अगले साल लोकसभा चुनाव में उतरने के लिए जिन 26 दलों ने इंडिया गठबंधन बनाया है, उनमें कांग्रेस और आम आदमी पार्टी भी शामिल है.
आम आदमी को लेकर यह खूब हल्ला मचा था कि वह प्रदेश की 200 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है और बिना किसी के गठजोड़ के सबपर दमदार प्रत्याशी उतारेगी. लेकिन पार्टी की अब तक की तैयारियों से लग रहा है कि उसका फोकस सिर्फ पंजाब, दिल्ली और हरियाणा से सटी राजस्थान की सीटों पर ही होगा. इसके लिए आप ने गंगानगर, हनुमानगढ़, बांसवाड़ा, सीकर, जयपुर, अलवर, कोटा, दौसा, चुरू, अजमेर, टोंक और सवाईमाधोपुर जिले की 26 सीटों पर चुनाव लड़ाने के लिए नाम लगभग फाइनल कर लिए हैं. हालांकि आप के प्रभारी विनय मिश्रा के मुताबिक राजस्थान में तीन-चार फेज में उम्मीदवार घोषित किए जाएंगे.
सियासी हलकों में इस पर खूब चर्चा हो रही है कि आप और कांग्रेस के बीच इंडिया गठबंधन की आड़ में अलग खिचड़ी पक रही है. प्रदेश की सियासत में बवाल मचाने वाली लाल डायरी, गहलोत सरकार के करप्शन, बिगड़ी कानून व्यवस्था और पेपर लीक जैसे मुद्दों पर आम आदमी पार्टी के संयोजक की चुप्पी किसी बड़े राजनीतिक समीकरणों की ओर संकेत दे रही है. जयपुर में भी आप के दोनों सीएम ने अपनी फ्री की गारंटी, स्कूल-अस्पताल बनवाने के साथ ही बीजेपी और पीएम मोदी पर खूब प्रहार किए.
दरअसल, प्रदेश में आप के स्लीपिंग पार्टनर बनने से कांग्रेस की राह कुछ आसान होगी और बीजेपी की मशक्कत और बढ़ जाएगी. कांग्रेस और आप के एक-दूसरे के खिलाफ दमदारी से लड़ने का फायदा बीजेपी को होता है. यह गुजरात चुनाव में साफ तौर पर सामने आया. अब यदि आप-कांग्रेस का अंदरूनी समझौता सिरे चढ़ता है तो गहलोत को युवा कार्यकर्ताओं की एक और फौज मिलेगी, जो कांग्रेस के नुकसान की संभावना को कम करेगी. दोनों की यह गोलबंदी बीजेपी प्रत्याशियों की परेशानियों को ही दोगुना करेगी. गहलोत आप पार्टी को साथ लेकर शहरी क्षेत्रों में बने भाजपा के गढ़ों को ढहाने की कोशिश करेंगे. सभी जानते हैं कि बीजेपी की पकड़ शहरी क्षेत्रों में ज्यादा है.
राजस्थान के साथ ही कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ और बीजेपी शासित मध्य प्रदेश में भी चुनाव हैं. ऐसा माना जा रहा है कि राजस्थान ही नहीं, एमपी और छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस और आप राजनीतिक गलबहियां करने में जुट चुके हैं. अंदरूनी गठबंधन के तहत कांग्रेस आलाकमान दिल्ली और पंजाब में आप का साथ देगा. बदले में इस साल होने वाले तीन राज्यों के चुनाव में आप ‘स्लीपिंग पार्टनर’ की भूमिका निभाएगी. इनकी रणनीति यही है कि लोकसभा चुनावों से पहले बीजेपी को इन तीन राज्यों में शिकस्त दी जाए, ताकि उसका असर लोकसभा चुनावों पर हो. अगले साल चुनाव में दोनों दल परस्पर सहयोग करेंगे. हालांकि यह रणनीति तभी कारगर हो पाएगी, जबकि मोदी सरकार ‘एक देश एक चुनाव’ को अमल में नहीं ला सके.
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