प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) से मुलाकात से पहले भारत और चीन कल सीमा वार्ता (Border Talks) करेंगे. दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स (BRICS Summit) नेताओं के शिखर सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के आमने-सामने होने से लगभग एक हफ्ते पहले भारत और चीन सीमा विवाद सुधारने की निरंतर कोशिशों के तहत सोमवार को 19वें दौर की सैन्य वार्ता करेंगे. सेना के अधिकारियों ने कहा कि पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) में वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) पर लगातार चार साल से जारी गतिरोध को कम करने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है.
‘इंडियन एक्सप्रेस’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व 14 कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रशीम बाली करेंगे. दोनों देशों के बीच आखिरी दौर की वार्ता 23 अप्रैल को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक से पहले हुई थी. जिसमें पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर पुराने टकराव के बिंदुओं और दोनों सेनाओं के बीच भरोसे की कमी को दूर करने के तरीकों पर चर्चा की गई. अब अगली दौर की बातचीत में भरोसा बहाल करने के उपायों, सीमा प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित करना, सैनिकों के बीच टकराव से बचने के लिए गश्त की जानकारी साझा करना और एलएसी और बफर जोन पर तैनात सैनिकों के बीच पर्याप्त संचार सुनिश्चित करने जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी.
दोनों देशों के बीच यह बातचीत लगभग 4 महीने के बाद हो रही है. हाल ही में और भारत और चीन के विदेश मंत्रियों और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठकों के कई हफ्ते बाद इसका समय तय किया गया है. गौरतलब है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस साल 9 और 10 सितंबर को G-20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत आने वाले हैं. यह मौका भी सीमा गतिरोध को खत्म करने की दिशा में आगे बढ़ने का एक अवसर देता है. दरअसल 2017 में जब डोकलाम में सीमा पर भारतीय और चीनी सैनिकों में गतिरोध था, तो मोदी और शी के चीन के जियामेन में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए मिलने के कार्यक्रम से कुछ दिन पहले दोनों पक्षों ने ढाई महीने पुराने गतिरोध को तोड़ दिया था.
विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) और एनएसए अजीत डोभाल (Ajit Doval) पहले ही चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात कर चुके हैं, जिन्होंने पिछले महीने किन गैंग की जगह ली थी. वांग ने भारत के साथ चुमार से डोकलाम (Doklam) तक पिछले गतिरोधों पर बातचीत की है. वह 2020 से ही सीमा गतिरोध पर भारत-चीन के बीच राजनयिक और मंत्री स्तर की बातचीत के लिए प्रमुख वार्ताकार रहे हैं. भारत ने इस मामले पर जुलाई में आक्रामकता बढ़ा दी थी, जब डोभाल ने वांग से कहा था कि 2020 के बाद से एलएसी पर गतिरोध के हालात ने ‘रणनीतिक भरोसे और रिश्ते के सार्वजनिक और राजनीतिक आधार को खत्म कर दिया है.’
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