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गहलोत बोले- आईआईटी में वो बात नहीं रही, कई आईआईटीयन हमसे पॉलिटिकल सर्वे के लिए सम्पर्क करते हैं

 

कोचिंग सेंटर्स में सुसाइड के बढ़ते मामलों की रोकथाम के लिए बुलाई गई बैठक में सीएम अशोक गहलोत ने शुक्रवार रात कहा कि आईआईटी करने में आजकल वो बात नहीं रही। आजकल जो पॉलिटिकल सर्वे होते हैं चुनाव जिताने और हराने के, उसमें बहुत बड़ी भूमिका आईआईटी किए हुए लोगों की होने लगी है। अब आईआईटी करने के बाद में वो पॉलिटीकल पार्टी से सम्पर्क करते हैं। पॉलिटीशियन के चक्कर लगाते हैं।

सीएम अशोक गहलोत ने आईआईटी कोचिंग के लिए चल रही अंधी दौड़ और कोचिंग सेंटर्स में स्टूडेंट्स के सुसाइड केसेज पर गहरी चिंता जताई। शुक्रवार रात बैठक में सीएम गहलोत ने कहा- आईआईटी करने में आजकल वो बात नहीं रही, जो पहले हुआ करती थी। कई हमारे आईएएस अधिकारी आईआईटीयन हैं। दो यहां बैठे हुए हैं। कई आईआईटी करने के बाद में आईएएस बनते हैं। आजकल वो हमसे बहुत सम्पर्क करते हैं। आजकल जो पॉलिटिकल सर्वे होते हैं चुनाव जिताने और हराने के, उसमें बहुत बड़ी भूमिका आईआईटी किए हुए लोगों की होने लगी है। अब आईआईटी करने के बाद में वो पॉलिटीकल पार्टी से सम्पर्क करते हैं, पॉलिटीशियन के चक्कर लगाते हैं। अपनी कंपनी बनाते है और फिर वो सर्वे करते हैं। जितने भी सर्वे आ रहे हैं उसमें कई लोग आपको आईआईटीयन मिलेंगे।

सीएम गहलोत ने कहा- कोचिंग संस्थाएं खुद आगे आकर बताएं किस प्रकार से उन्हें आगे बढ़ना है। कोचिंग के माध्यम से उनका योगदान हो सकता है। कई तो मां बाप खुद आकर बच्चों के साथ कोटा में रहने लग जाते हैं और बच्चों पर पूरा ध्यान देते हैं। गहलोत ने कहा- एक बात मुझे अच्छी लगी, इंफ्रास्ट्रक्चर, मैस का खाना अच्छा मिले, स्पोर्ट्स एक्टिविटी हो, बच्चों पर दबाव नहीं रहे। ये तो कोचिंग संचालकों को करना ही है।

गहलोत ने कोचिंग संचालकों पर तंग कसते हुए कहा- आपने कोई कॉमर्शियल एक्टिविटी की तरह इसे मान लिया है। जिस तरह कोई इंडस्ट्रियलिस्ट हो, उस ढंग का आप लोग बड़े-बड़े विज्ञापन दे रहे हो, फ्रंट पेज पर विज्ञापन आना कितना कॉस्टली होता है। रोज विज्ञापन आते हैं, जितना कोचिंग के आते हैं उतना हम लोग पॉलिटिकल पार्टी के विज्ञापन नहीं आते,उलटा मामला हो रहा है।

सीएम ने फिर कहा- मैं कहता हूं कि ये पैसा कहां से आता है, कितना आता है। कोई हिसाब किताब रखो। अपने पास में भी हिसाब-किताब रखो और मैं समझता हूं कि जवाबदारी रखो अपनी, किस तरह फीस को रेग्युलेट करें। 10वीं पास बच्चों को कोचिंग में बुला लेते हैं। 10वीं पास भी नहीं किया होता है उन बच्चों को बुला लेते हैं। लम्बी कतारें लगती हैं उनकी, मतलब क्राइम कर रहे हो आप लोग, ऐसा हो गया है। आईआईटीयन बन गया तो खुदा बन गया देश के अंदर, वो माहौल नहीं है। 

सीएम गहलोत ने कहा- 9वीं पास किए हुए ही बच्चे कोचिंग में आ जाते हैं और वो फर्जी स्कूलों में उनके नाम लिखते हैं। गहलोत ने शिक्षा मंत्री डॉ बीडी कल्ला को कहा कि आप शिक्षा मंत्री हैं, उनके नाम कटवा दीजिए वहां से, जो आईआईटी की कोचिंग कर रहा है, वो बच्चा ऐसे स्कूलों में खाली हाजिरी लगाता है।  उसके पैरेंट्स की भी गलती है और कोचिंग क्लासेस संस्थाओं की भी गलती है कि आप उनका डमी नाम भरवाकर उनको कोचिंग करवा रहे हो। बच्चे वहां पर स्कूल जाते ही नहीं है। किसी वक्ता ने ठीक कहा था कि बच्चे पर 10 वीं पास करने का भी भार अलग है। बोर्ड का एग्जाम होता है। 10वीं, 11वीं, 12वीं पास करो, साथ में कोचिंग की पढ़ाई करो, तो अपने आप प्रेशर बन जाता है। आपको सोचना पड़ेगा जो कमियां-खामियां हैं उन्हें दूर करें। सरकार आपके साथ में आपको खड़ी मिलेगी। बशर्तें की आप ये सिस्टम जो बन गया है, गलतियां हो जाती हैं उन्हें सुधारने का वक्त आ गया है, क्योंकि बच्चों को मरते हुए नहीं देख सकते हैं। 

सीएम गहलोत ने कहा- कल-परसो अखबार में खबर आई थी कि बच्चे ने सुसाइड कर लिया। दो दिन पहले सुसाइड हो गया था, बाद में मालूम पड़ा। सिस्टम ऐसा बनाएं कि सुसाइड करने की नौबत आए ही नहीं, माहौल बनाने की जिम्मेदारी आपकी है कि वहां खुशनुमा माहौल रहे। बच्चे को लगे परिवार साथ खड़ा है। एक कोचिंग क्लास के वर्मा जी ने कहा था कि मैं पढ़ने लगा था तो तकलीफ हुई, रोना आ गया, मां की याद आ गई। तो आप ये क्यों नहीं सोचते हो कि सब मांओं को याद करने वाले लोग हैं, जो लोग सुसाइड कर रहे हैं। सोचना होगा वास्तव में 15-16 साल की उम्र में बच्चों को भेज देते हो, कि 9वीं, 10वीं, 11 वीं वहीं कर, साथ में कोचिंग कर। तमाम बातें हैं जिन पर मिलकर फैसला करना होगा। कोचिंग भी अपना काम कर सकें। पैरेंट्स और छात्रों को परेशानी नहीं हो। यहां से अच्छी कोचिंग करके बच्चे आगे बढ़ें। जैसे हम यहां से 500 बच्चों को विदेश में पढ़ने भेज रहे हैं, क्यों भेज रहे हैं, क्योंकि एक एक्जाम्पल देता हूं गायकवाड़ महाराजा ने अम्बेडकर को विदेश भेजा, तो संविधान निर्माता हो गए, एक्सपोजर हो गया। मैंने खुद विजिट की, सीकर में मेरे अच्छे अनुभव रहे, उदयपुर में डूंगरपुर-बांसवाड़ा के बच्चों को शहर में रहकर सरकारी होस्टल में पढ़ने का मौका मिल गया। पर्सनेलिटी, बातचीत में पॉजिटिव बदलाव हो गया। 

गहलोत ने कहा- आज जो सुझाव दिए गए हैं वीकली टेस्ट का दबाव रहता है। 6 घंटे की क्लास फिर एक्सट्रा क्लास भी लेते हैं। फिजिकल एक्टिविटी होती नहीं है। फिजिकल एक्टिविटी और हेल्थ का बहुत बड़ा संबंध है। स्पोर्ट्स, योग क्यों है, वॉकिंग भी करते हैं आप तो आपका माइंड और स्वास्थ्य ठीक रहता है। गांधीजी ने क्यों कहा कि बिना श्रम किए खाना खाना हराम है। क्योंकि वो खाना हजम नहीं होगा। कितनी बड़ी बात उस जमाने में उन्होंने कही कि हमारे शरीर के लिए वो उचित नहीं है। 

सीएम ने कहा हर इंस्टीट्यूट में एक डॉक्टर का सेंटर होना चाहिए। डॉक्टर और सब सुविधा हो, जितने भी डिस्ट्रिक्ट में हॉस्पिटल हैं, वहां लिस्ट जानी चाहिए कि हमारे इंस्टीट्यूट के बच्चे तकलीफ में आकर आपको फोन करें, तो आप उनका पूरा ट्रीटमेंट करें, बच्चे का खर्चा हमारा संस्थान देगा। बच्चे को लगे कि मेरे कोई बीमारी हो गई तो मैं फोन करूंगा और मुझे लेने के लिए एम्बुलेंस आ जाएगी। इंस्टीट्यूट के अंदर खुदके डॉक्टर का पैनल होना चाहिए। छोटी-छोटी इन बातों को आपको अपनाना होगा, बच्चों की संख्या इतनी ज्यादा होती है कोचिंग के अंदर की टीचर भी वहां पर क्या करे ? सीएम ने कहा मुझे लगता नहीं है कि 50-60 बच्चों का बैच होगा, किस तरह काम होते होंगे। मंत्री शांति धालीवाल जी कह रहे थे कि मां बाप को सोचना चाहिए, बच्चों को कैसे भेजते हैं, ध्यान देते नहीं हैं। बार त्योहार भी उनको मिलने का मौका नहीं मिलता है। अभी शिक्षा विभाग ने जो नो बैग डे वन डे शनिवार को किया है उसका अच्छा असर पड़ा है। बच्चों के लिए खेल के मैदान और खेल की एक्टिविटी जरूरी होना चाहिए। हमारे जमाने में तो स्काउट, एनसीसी, एनएसएस में जाना और खेल खेलना कम्पलसरी होता था, अब कहां होता है ? जो हालात बन गए हैं उसे उसी रूप में सोचना होगा। माहौल खुशनुमा कैसे हो, इस पर विचार करें। बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है।

सीएम गहलोत ने एलन कोचिंग इंस्टीट्यूट का खास तौर पर नाम लेते हुए कहा कि खाली एलन में ही सुसाइड हो रहा है या और जगह भी हो रहा है कौन बताएगा ? इस पर बैठक में सीएम को बताया गया कि इस साल के सुसाइड केसेज में 14 बच्चे सिर्फ एलन कोचिंग इंस्टीट्यूट के हैं। कुल 3 लाख बच्चों में से 70 परसेंट एलेन में होते हैं। राजस्थान में कोचिंग में सुसाइड का सीएम ने डाटा मांगा, तो कोचिंग वालों और सरकारी अफसरों ने कहा पूरे राजस्थान का तो डाटा नहीं है, खाली कोटा का है। इस साल 21 केसों में से 14 बच्चे एलन में सुसाइड किए हैं। ऐलेन के प्रतिनिधि ने कहा- ऑल इंडिया मेडिकल में सबसे ज्यादा बच्चे बाहर से आकर पढ़ने वाले हैं। माता पिता के सामने बच्चा जिद करता है कि मुझे डॉक्टर बनना है, पैरेंट्स को लगता है मौका नहीं दिया तो ताना देगा। आईआईटी का पेपर जिस लेवल पर होता है, वो भारत के किसी भी स्कूल का शिक्षक सॉल्व नहीं कर सकता है। उसका लेवल इतना ऊंचा होता है और सरकारी स्कूल या स्कूलों के लेवल में जमीन आसमान का गैप होता है। चौमूं में पढ़ने वाला बच्चे का पिता कहता है कि मेरा बच्चा आईआईटी करना चाहता है तो कैसे करे। जयपुर में कॉन्वेंट या अन्य स्कूलों में एडमिशन आसानी से नहीं मिल पाता है। कोचिंग ने उन्हें रास्ता दिखाया। 

आंध्रप्रदेश,तेलंगाना,कर्नाटक,महाराष्ट्र के स्टेट बोर्ड ने ऐसी व्यवस्था सरकार ने कर रखी है कि जूनियर कॉलेज और प्री यूनिवर्सिटी के अंदर 11वीं और 12वीं क्लास को कोचिंग की सरकार ने परमिशन दे रखी है। वहां पर बच्चा उन सरकारी स्कूलों में ही कोचिंग कर सकता है। इस वजह से वहां के बच्चे आईआईटी में जाते हैं। सरकार ने ही कॉन्सेप्ट दे रखा है। पिछले 10 साल के आंध्रप्रदेश और तेलंगाना के डाटा निकालेंगे, तो 50 परसेंट भारत में आईआईटी में सलेक्ट होने वाले वही स्टेट हैं। तो उसका कारण स्कूली शिक्षा में फर्क होना है। पैरेंट्स के स्तर पर चीजें होती हैं। किसी भी रोज सरकार का एक बड़ा प्रतिनिधिमंडल एलेन के अंदर बिना बताए, बिना नोटिस के भेजकर चेक करते हैं, तो जितने सुझाव आए हैं उससे प्लस ही आपको सारी व्यवस्थाएं मिलेंगी। शायद भारत में सुसाइड रोकने के लिए अरेंजमेंट नहीं होते, जितने हमने कर रखे हैं। हॉस्पिटल भी अंदर ही बना रखे हैं, सारी चीजें कर रहे हैं, हम भी बहुत आहत हैं कि स्टूडेंट ऐसी ऐसी घटनाएं कर रहे हैं। हमें भी पता नहीं चलता है। 

एलन के प्रतिनिधि ने सीएम को बताया कि पिछले 5 सालों के तीन संस्थानों के डाटा देखें तो आईआईटी कॉलेज में 45 सुसाइड पिछले 5 सालों में हुए, आईआईएम में 10 हुए, नवोदय विद्यालय में 49 हुए।  अनुपात देखें तो कोटा से 4 गुणा हैं, वो बच्चे तो आईआईटी कॉलेज जा चुके थे। एक बात समझनी होगा कि यह मानसिक बीमारी है। इसका सबसे सही उपचार वन टू वन काउंसलिंग उस बच्चे को देनी होगी। 

सीएम ने कहा एलन के आंकड़े अखबारों में आ रहे हैं। मैंने टारगेट करके एलन की बात नहीं कही है। क्योंकि अखबारों में खबरें आ रही हैं कि एलन के इंस्टीट्यूट्स में ही 18 बच्चे मर गए। आप खुद कहते हो कि आपकी ब्रांचेज पूरी कंट्री के अंदर है और कहीं पर जीरो सुसाइड हो रहा है तो खाली कोटा में ही सुसाइड क्यों हो रहा है, कहीं तो रिसर्च होना चाहिए ना, सीएम ने कहा बड़ी संख्या में आपकी संस्थान एलन सब जगह पर है, आप खुद कह रहे हो कि वहां जीरो सुसाइड है। इस पर एलन प्रतिनिधि ने कहा देश भर में हमारे अन्य जगह इंस्टीट्यूट्स हुए हैं। लेकिन उनको मीडिया उस तरीके से नहीं छापती है या वहां उस काउंटिंग का दूसरा साइड वो नहीं है। जैसे मैने बात कही थी नारायणा, चैतन्या की, वहां तीन-तीन लाख बच्चे हैं और सबसे ज्यादा सुसाइड उन्हीं के वहां होते हैं। लेकिन वहां पर काउंटिंग स्कूल्स में होते हैं। क्योंकि उनके स्कूल्स में होता है। 

सीएम ने कहा फिर मालूम करो वहां क्यों नहीं छपता है। आप इतने विज्ञापन देते हो फिर भी यहां पर लोग छाप देते हैं। राजस्थान में इतने विज्ञापन दे रहे हो, तब भी छाप रहे हैं। वहां पता नहीं वो क्या करते होंगे, न्यूज वहां छपती ही नहीं है। खैर ये बहस का विषय नहीं है। कमेटी बनाने की मैंने घोषणा कर दी है। आप आइए इस कमेटी के अंदर, 15 दिन के अंदर हमको रिपोर्ट चाहिए कि क्या क्या करना चाहिए। बैठकर बात कीजिए। आगे के लिए क्या क्या होना चाहिए। हम सब मिलकर ही रास्ता निकालेंगे। सब को बच्चों के भविष्य की चिंता हो रही है।

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