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'मैं उनका दिल नहीं जीत सका...', 10 में से 9 स्टूडेंट ने स्कूल छोड़ा, तो टीचर ने कर ली आत्महत्या

पुणे में एक सिंगल टीचर प्राइमरी स्कूल (Pune School) के अध्यापक ने इसलिए सुसाइड (Teacher Suicide) कर लिया कि उसके स्कूल के महज 10 छात्रों में 9 ने किसी और स्कूल में एडमिशन ले लिया था. उनके स्कूल में महज एक स्टूडेंट बचा था. इस कारण से वह काफी परेशान हो गए थे. 3 अगस्त को 46 साल के अरविंद देवकर (Arvind Deokar) ने दो कक्षाओं में से एक में कथित तौर पर जहरीली जड़ी-बूटी खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की. पांच दिन बाद उनकी मौत एक अस्पताल में हो गई. पुलिस ने कहा कि व्हाट्सएप पर एक रिश्तेदार को भेजे गए सुसाइड नोट से पता चलता है कि वह अपने 9 छात्रों को नहीं रोक पाने से परेशान था, जो 2 किमी. दूर दूसरे स्कूल में चले गए थे.

‘इंडियन एक्सप्रेस’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक पुणे के बोरिएंडी गांव में पहाड़ियों और घास के मैदानों से घिरे होल वस्ती प्राइमरी स्कूल में अरविंद देवकर पहली बार 16 जून को पहुंचे थे. वह ही सिंगल-टीचर स्कूल में हेडमास्टर, क्लर्क, चपरासी और शिक्षक की भूमिका निभा रहे थे. होल वस्ती से 10 किमी. दूर उरुली कंचन के एक निजी स्कूल में शिक्षिका उनकी पत्नी मनीषा देवकर ने कहा कि ‘जब उनका तबादला होने वाला था, तो उन्होंने इस स्कूल को अपनी पहली प्राथमिकता के रूप में दिया था. जब हम पहली बार स्कूल गए, तो उन्होंने मुझसे कहा कि वह अपना 100 प्रतिशत देंगे.’ अब देवकर की मौत के बाद मनीषा और उनके दो बच्चे बोरिएंडी से लगभग 30 किमी दूर पुरंदर तालुका में अपने गांव चले गए. उनकी एक बेटी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही है और एक बेटा 8वीं कक्षा में है.

मनीषा ने बताया कि ‘बोरिएन्डी से 18 किमी. दूर मिरवाडी में उनके पुराने स्कूल में सात शिक्षक और 160 से अधिक छात्र थे. चार कक्षाओं में केवल 10 छात्रों वाले एक-शिक्षक स्कूल में यह उनका पहला मौका था. स्कूल चूंकि गर्मियों की छुट्टी के कारण बंद था, इसलिए उसकी हालत खराब थी. जब यह 16 जून को खुला, तो मेरे पति ने अपने छात्रों की मदद से इसे साफ करने का फैसला किया.’ एक स्थानीय शख्स ने कहा कि जब छात्रों ने अपने माता-पिता को स्कूल की सफाई के बारे में बताया, तो अधिकांश अभिभावकों ने उनसे इसके लिए सफाई देने को कहा.

एक पखवाड़े बाद छात्रों के मां-बाप एक बार फिर नाराज हो गए क्योंकि देवकर ने पाठ्यक्रम का ज्यादा हिस्सा कवर नहीं किया था. इसलिए उन्होंने 9 छात्रों को स्कूल से निकाल लिया और उन्हें पास के एक स्कूल में भर्ती करा दिया. मनीषा ने कहा कि ‘मेरे पति हर किसी के घर गए और चीजों को ठीक करने के लिए एक और मौका मांगा.’ देवकर के सुसाइड नोट में स्कूल के लिए उनके सपने का जिक्र भी किया है. उन्होंने कहा कि ‘होल वस्ती में तबादले के बाद जिस तरह से मैं चाहता था, छात्रों के माता-पिता का दिल नहीं जीत सका.’ पुणे जिला परिषद के शिक्षा विभाग ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं.

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